damrua desk. आज यानी 19 सितंबर को संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन है. आज से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन (New Parliament Building) में आयोजित होगी. आज नए भवन के सेंट्रल हॉल में एक विदाई समारोह आयोजित की गई. इससे पहले फोटो सेशन किया जा रहा है. सुबह 11 बजे, इस समारोह में भारतीय संसद की समृद्ध विरासत को याद किया जाएगा और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया जाएगा. इस समारोह के लिए सेंट्रल हॉल में लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की एक बैठक होगी. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समारोह का नेतृत्व करेंगे. इस कार्यक्रम में तीन विशेष सांसद सदस्य अपनी बात रखेंगे.गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के मौके पर नए संसद भवन में प्रवेश से पहले एक पूजा आयोजित की जाएगी. इसके बाद यहां सदन की कार्यवाही शुरू होगी.पीएम ने कहा, लोकसभा और राज्यसभा में मिलकर करीब 4000 से अधिक कानून पास हुए
पुराने संसद भवन के इतिहास के लेकर पीएम ने कहा कि 1952 के बाद 41 राष्ट्रध्यक्ष ने यहां सभी सांसदों को संबोधित किया है. हमारे राष्ट्रपतियों ने इस सदन को 86 बार सम्बोधन दिया है. बीते 7 दशकों में जो भी साथी इन जिम्मेवारियों से गुजरे हैं जिम्मेवारिया संभाली हैं, अनेक कानूनी, अनेक संशोधन और अनेक सुधारों का हिस्सा रहे हैं. अभी तक लोकसभा और राज्यसभा में मिलकर करीब -करीब 4000 से अधिक कानून पास किए गए हैं. और कभी जरूरत पड़ी तो जॉइंट सेशन के माध्यम से भी कानून पारित करने के दिशा में रणनीति बनानी पड़ी. इसके तहत दहेज रोकथाम कानून हो, बैंकिंग सर्विस कमिशन बिल हो, आतंक से लड़ने के लिए कानून हो, यह सभी संयुक्त सत्र में इसी गृह में पास किए गए हैं. इसी संसद में मुस्लिम बहन बेटियों की जो प्रतीक्षा थी, शहाबानो केसस के कारण जो गलती हुई थी, उसे इसी सदन में सुधारा गया. तीन तलाक कानून को हम सब ने मिलकर पारित किया. सदन में इन वर्षों में ट्रांसजेंडर को न्याय देने वाले कानून का भी निर्माण किया. इसके माध्यम से हम ट्रांसजेंडर अपनी सद्भाव और सम्मान के भाव के साथ उनको नौकरी शिक्षा स्वास्थ्य और बाकी जो भी सुविधाएं हैं,उसे एक गरिमा के साथ प्राप्त कर सके इसकी दिशा में हम आगे बढ़े.
यह भवन हमें भावुक करने के साथ हमारे कर्तव्यों के लिए प्रेरित भी करता है: PM
पीएम ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा कि यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल और एक प्रकार से हमारी भावनाओं से भरा हुआ है. हमें भावुक भी करता है और हमें हमारे कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है. आजादी के पूर्व यह खंड एक प्रकार से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था. लेकिन बाद में यहां संविधान सभा की बैठक शुरू हुई और उन संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा विचार करने के बाद हमारा संविधान यहीं पर आकर लिया. 1947 में अंग्रेजी हुकूमत में सत्ता हस्तांतरण किया उसका साक्षी भी हमारा सेंट्रल हॉल है. यहां पर भारत के भाग्य को गढ़ने पर विचार किया, सहमति बनाई और निर्णय भी किया. इसी सेंट्रल हॉल में भारत की तिरंगे को अपनाया गया. हमारे राष्ट्रगान को अपनाया गया. आजादी के बाद भी अनेक सरकारों के दरमियान कई अवसर आए जब दोनों सदनों ने मिलकर यहां पर भारत के भाग्य को गढ़ने पर विचार किया.