अलाव जलाकर जनसुनवाई स्थल में जमे ग्रामीण
कपिस्दा में ग्रीन सस्टेनेबल लाइमस्टोन खदान को लेकर तनाव चरम पर, सड़कें काटकर गांवों की किलेबंदी
डमरूआ /रायगढ़/ सारंगढ़। ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की प्रस्तावित लाइमस्टोन खदान के विरोध में कपिस्दा और आसपास के पांचों प्रभावित गांव लालाधुरवा, जोगनीपाली, धौराभांठा, कपिस्दा और सरसरा में आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। ग्रामीणों ने जनसुनवाई रोकने की मांग को लेकर रविवार रात से ही गांवों को जोड़ने वाले लगभग सभी कच्चे मार्गों को गहरे गड्ढों में बदलकर बंद कर दिया है ताकि प्रशासनिक अमला और परियोजना से जुड़े अधिकारी गांव की सीमा तक भी न पहुंच सकें। इसी बीच रविवार सुबह जनसुनवाई स्थल गौठान पर स्थिति और ज्यादा तनावपूर्ण तब हो गई जब महिलाएं, पुरुष, युवा और बच्चे वहां पर पहुंचकर भारी विरोध करना शुरू कर दिए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन में पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया. ग्रामीण किसी भी स्थिति में अपनी जमीनों को नहीं देना चाहते इतिहास से महिलाएं बूढ़े बच्चे और जवान सभी कड़कड़ाती ठंड में अलाव जलाकर रातभर वहीं डटे रहे और सामूहिक रतजगा करते हुए घोषणा की कि पुश्तैनी यादों और पैतृक खेतों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। ग्रामीणों ने गौठान को पूर्णत: धरना स्थल में बदल दिया है जहां अलाव के सहारे पूरा गांव रातभर पहरा देता रहा और सुबह होने तक विरोध की आवाजें और तेज हो गईं।
पिछले सप्ताह कलेक्टर कार्यालय घेराव के बाद भी जब जनसुनवाई निरस्त करने को लेकर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट निर्णय सामने नहीं आया और चुप्पी बनी रही, तब से ग्रामीणों में असंतोष और अधिक बढ़ गया है। रविवार से पुलिस बल की भारी तैनाती के बाद कपिस्दा छावनी में तब्दील हो चुका है, लेकिन बंद रास्तों के चलते पुलिस अभी भी वैकल्पिक मार्ग तलाशने की कोशिश में लगी है। दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन उनकी आजीविका, इतिहास और भावनाओं से जुड़ी है जिसे उद्योग के लिए सौंपना संभव नहीं और जब जमीन देने का सवाल ही नहीं है तो जनसुनवाई कराने का औचित्य भी खत्म हो जाता है। सोमवार को निर्धारित जनसुनवाई के दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि जनसुनवाई पर्यावरणीय प्रक्रिया का अनिवार्य चरण है, जबकि गांवों का माहौल पूरी तरह इसके विरुद्ध तैयार बैठा है और लोग इसे रोकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
जमीन उपलब्ध नहीं, फिर भी हवा में जनसुनवाई की तैयारी
ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं और खदान परियोजना को इस क्षेत्र में किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे। गांव वालों ने जनसुनवाई स्थल तक पहुंचने वाले रास्तों को काटकर साफ कर दिया है कि वे बिना सहमति के परियोजना को आगे नहीं बढ़ने देंगे। उनका कहना है कि जनसुनवाई जमीन उपलब्ध होने पर होती है, जबकि यहां किसी ने जमीन बेची ही नहीं। इस कारण प्रशासन की जनसुनवाई को ग्रामीण हवा में आयोजित प्रक्रिया मान रहे हैं।
कपिस्दा में पुलिस छावनी टकराव की आशंका
ग्रामीणों के उग्र तेवर को देखते हुए पुलिस ने गांव की बाहरी सीमाओं तक बल तैनात कर दिया है। कच्चे रास्तों पर गड्ढे होने से पुलिस दलों को वैकल्पिक मार्गों की तलाश करनी पड़ रही है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि जनसुनवाई शांतिपूर्ण तरीके से कराने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन गांवों की स्थिति में तनाव लगातार बढ़ रहा है और किसी भी समय हालात बिगड़ने का खतरा बना हुआ है।


























