गरियाबंद (आरएनएस)। मादा चीतल का शिकार कर उसका मांस अपने परिजनों को देने और स्वयं मांस रखने के चलते आरोपी को मांग सहित पकड़ा गया।घटना के विषय में मिली जानकारी अनुसार 7 सितंबर को गुप्त सुचना मिलने के आधार पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी रायपुर छ.ग.सुधीर अग्रवाल एवं मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं क्षेत्र संचालक उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व रायपुर छ.ग विश्वेश कुमार झा और उपनिदेशक उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद लक्ष्मण सिंह और वरूण जैन के मार्गदर्शन में 7 सितंबर को ग्राम जुगाड़ निवासी घनश्याम पिता मनीराम जाति गोड़ के द्वारा उत्तर उदंती परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 85 पाटाबहाल नाला छापरमाटी (नमक मिट्टी) के पास तीन-चार दिन पूर्व एक मादा चीतल का शिकार कर उसका कच्चा मांस को अपने कुल्हाड़ी से काटकर घर ले जाकर आग के आंच से भुनकर रखा हुआ था बाकी कच्चा मांस को अपने रिश्तेदार को बांट दिया गया था।वन विभाग की टीम द्वारा घनश्याम के घर से आग के आंच से भुना हुआ 2 किलो 875 ग्राम चीतल मटन बरामद किया गया।जिसे मौके पर जप्त किया गया और घनश्याम पिता मनीराम जाति गोड़ को विस्तृत पूछताछ के लिए मैनपुर लाया गया।वही 8 सितंबर को आरोपी घनश्याम को घटना स्थल का सिनाख्त के लिए कक्ष क्रमांक 85 ले जाया गया जहां वन्यप्राणी चीतल का शिकार हुआ था।आरोपी घनश्याम पिता मनीराम जाति गोड़ के द्वारा चीतल का अवैध शिकार करना एवं कच्चा मांस को कुल्हाड़ी से काटकर घर ले जाकर रखने का वन अपराध स्वीकार करने पर उनके विरुद्ध पी.ओ.आर.क्रमांक 199/03,, 8 सितंबर वन अपराध पंजीबद्ध किया गया।आरोपी घनश्याम पिता मनीराम जाति गोड़,ग्राम जुगाड़ के द्वारा वर्ष 2014 में एक नग चीतल को मारकर खाने का वन अपराध क्रमांक 3158/01 दिनांक 13 अगस्त 2014 दर्ज हैं।आरोपी वन्यजीवों का शिकार करने का आदतन अपराधी है। विवेचना अधिकारी गंगाराम ठाकुर वनपाल सहायक परिक्षेत्र अधिकारी जुगाड़ के द्वारा आरोपी घनश्याम पिता मनीराम जाति गोड़ उम्र 56 वर्ष ग्राम जुगाड़ का न्यायालयीन कार्यवाही के अंतर्गत वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा के तहत गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरियाबंद के समक्ष प्रस्तुत किया गया।इस कार्यवाही में एन्टीपोचिंग नोडल गोपाल कश्यप,देवनारायण सोनी वन परिक्षेत्र अधिकारी उत्तर उदंती (मैनपुर),राकेश परिहार वन परिक्षेत्र अधिकारी तौरेंगा,दानवीर चिण्डा,गंगाराम ठाकुर पुनाराम साहू,मनोज ध्रुव, टकेश्वर देवागन,सुर्यदेव जगतवंशी,अनुप जांगडे,विरेन्द्र ध्रुव,भूपेन्द भेडिया, फलेश्वर दीवान,योगेश दिवान, रिंकी जोशी एवं सुरक्षा श्रमिकों का योगदान रहा।