Damrua

मुड़ा जलाशय बना पहले अवैध खदान, अब उसी गड्ढे में फ्लाई ऐश बोंदामुड़ा में अवैध को वैध बनाने का खेल उजागर

नौघटा/कटंगपाली।जिस गड्ढे में आज बेधड़क फ्लाई ऐश डाली जा रही है, वह कभी इलाके का प्रमुख “मुड़ा जलाशय” हुआ करता था। वर्षों तक ग्रामीणों की जरूरतों का सहारा रहे इस जलाशय को पहले अवैध खनन के जरिए खोखला किया गया और अब उसी खनन से बने गड्ढे में फ्लाई ऐश भरकर अवैध गतिविधियों को वैध दिखाने की कोशिश की जा रही है। नौघटा क्षेत्र में सामने आई यह तस्वीर प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

 

इस पूरे मामले को सामाजिक कार्यकर्ता राजेश वैष्णव (नौघटा) ने डमरुआ डॉट कॉम से बातचीत में विस्तार से रखा। बातचीत किसी औपचारिक शिकायत तक सीमित नहीं रही, बल्कि क्षेत्र की उस सच्चाई को सामने लाती है, जिसे अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा।

 

राजेश वैष्णव के अनुसार, जिस स्थान को आज फ्लाई ऐश डंपिंग साइट के रूप में उपयोग किया जा रहा है, वह पहले 3 से 4 एकड़ में फैला मुड़ा जलाशय था। वर्ष 1995 में यहां स्टॉप डेम का निर्माण हुआ था और आसपास के गांवों के लोग लंबे समय तक इसी जलाशय पर निर्भर रहे। बाद के वर्षों में यहां अवैध रूप से पत्थर निकाला गया, जिससे जलाशय पूरी तरह खत्म हो गया और बड़ा गड्ढा बन गया।

 

उन्होंने बताया कि अब उसी गड्ढे को भरने के नाम पर फ्लाई ऐश की भारी गाड़ियां लगातार लाई जा रही हैं। साथ ही आसपास के क्षेत्रों से खनिज पत्थर से लदे ट्रक भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से बनी सड़क से होकर गुजर रहे हैं। राजेश वैष्णव का कहना है कि यह प्रक्रिया केवल भराव नहीं, बल्कि पुराने अवैध खनन को ढककर उसे वैध रूप देने की कोशिश है।

 

बातचीत में उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण सड़क की भार क्षमता 12 टन तय है, लेकिन फ्लाई ऐश और खनिज से लदी ओवरलोड गाड़ियां रोज़ाना इस सड़क से गुजर रही हैं। हाल ही में ग्रामीणों ने मजबूरी में करीब 30 गाड़ियों को रोककर विरोध दर्ज कराया, लेकिन मौके पर पहुंचे अधिकारियों द्वारा कोई ठोस दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया।

 

राजेश वैष्णव के अनुसार, इस पूरे मामले की लिखित शिकायत थाना, कलेक्टरेट और संबंधित विभागों में दी जा चुकी है। 19 दिसंबर को आवेदन दिया गया था और प्रशासन ने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर न तो फ्लाई ऐश डंपिंग रुकी है और न ही खनिज गाड़ियों की आवाजाही।

 

उन्होंने साफ कहा कि यह सिर्फ सड़क या पर्यावरण का मुद्दा नहीं है, बल्कि सरकारी जल संरचना को खत्म कर पहले अवैध खनन और अब फ्लाई ऐश भरकर रिकॉर्ड सुधारने का प्रयास है। गांव के 115 से अधिक लोगों ने लिखित समर्थन दिया है और जरूरत पड़ी तो आंदोलन का रास्ता भी अपनाया जाएगा।

 

अब सबसे बड़ा सवाल यही है—

क्या जलाशय को पहले खदान बनाना और फिर फ्लाई ऐश डालकर उसे वैध दिखाना कानूनन सही है?

क्या प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं, या फिर सब कुछ देखकर भी अनदेखी की जा रही है?

 

To Be Continue….

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