Damrua

Mama-भांचा @ काशीराम चौक की कथित जुआ फैक्ट्री पर पुलिस की चुप्पी, नतीजे अब भी नदारद…

खाकी-जुआ-कुमार की भूमिका पर उठ रहे सवाल

खबरों का तांडव/ रायगढ़।

काशीराम चौक के आगे न्यू जेसीबी ऑफिस के पीछे कथित रूप से संचालित जुआ फड़ को लेकर उठे सवालों के बीच अब इस अवैध कारोबार में एक नया नाम सांकेतिक रूप से उभरकर सामने आया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार जुए की इस कथित फैक्ट्री के संचालन से कुमार का नाम जोड़ा जा रहा है। चर्चा है कि लंबे समय से चल रहे इस जुआ नेटवर्क में कुमार की भूमिका पर्दे के पीछे एक अहम कड़ी है, जिससे पूरे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
खबर सामने आने के बाद इलाके में कुछ समय के लिए सन्नाटा जरूर पसरा, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अब तक किसी ठोस कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। न किसी बड़ी गिरफ्तारी की सूचना सामने आई, न जुआ सामग्री जब्ती की और न ही अपराध पंजीबद्ध होने की स्पष्ट जानकारी। ऐसे में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि यह सन्नाटा कार्रवाई का संकेत है या फिर पुलिस की रणनीतिक चुप्पी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर कथित जुआ फड़ चल रही है, वहां महीनों से बाहर के इलाकों से जुआरी पहुंचते रहे हैं और रोजाना हजारों से लेकर लाखों रुपए तक का लेन-देन होता रहा है। अब इसे जुए की फैक्ट्री इसलिए कहा जाने लगा है क्योंकि यहां जुआ किसी छिटपुट खेल की तरह नहीं, बल्कि व्यवस्थित और नियमित कारोबार की तरह संचालित होने की चर्चा है। ऐसे में कुमार का नाम सामने आना और पुलिस का मौन रहना लोगों को खटक रहा है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या पुलिस केवल छोटे जुआरियों तक सीमित रहकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मानेगी या फिर जुए की फैक्ट्री के कथित सूत्रधार कुमार तक पहुंचकर पूरे नेटवर्क पर हाथ डालेगी। क्षेत्रवासियों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि खाकी कुमार का यह प्रसंग केवल चर्चा तक सीमित रहता है या फिर किसी ठोस पुलिसिया कार्रवाई का रूप लेता है।

जुए की फैक्ट्री और कुमार का राजनीतिक रसूख

स्थानीय सूत्रों का दावा है कि जुए की कथित फैक्ट्री के संचालन से कुमार का नाम जुड़ा है। जो राजनीतिक रसूख का धनी है, जाहिर है खाकी भी किसी न किसी प्रकार से दबाव में है, जुआरियों की आवाजाही, फड़ की व्यवस्था और रोजाना होने वाले बड़े लेन-देन में उसकी भूमिका की चर्चा है। यदि यह सही है तो मामला केवल जुआरियों तक सीमित नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है जिसमें वह लोग भी शामिल हैं जिन पर इस सामाजिक बुराई को रोकने की जवाबदारी भी है.

आम लोगों को सब पता, फिर पुलिस कैसे हो सकती है अनजान

पान दुकानों, चौक-चौराहों और आसपास के इलाकों में जुआ फड़ की चर्चा लंबे समय से आम रही है। सवाल यह है कि जब आम नागरिकों को सब कुछ पता है, तो पुलिस की नजरें अब तक कहां टिकी हुई थीं। चर्चा इस बात की भी है कि संगठित नेटवर्क बिना राजनीतिक और पुलिसिया संरक्षण के फल फूल नहीं सकता है यही कारण है कि पूरा नेटवर्क को लंबे समय से एक मजबूत संरक्षण प्राप्त है. लोगों की गाढ़ी कमाई, से प्राप्त होने वाली इस अवैध आए के हिस्सेदार कई हैं जो किसी भी स्थिति में यह नहीं चाहते कि इस प्रकार के अवैध धंधे पर कोई आंच आए.

कार्रवाई के दावे और पुलिस की हकीकत

कार्रवाई के आश्वासन जरूर सुनाई दिए, लेकिन नतीजे सामने नहीं आए। न गिरफ्तारी की ठोस सूचना, न जब्ती की पुष्टि और न ही नेटवर्क के खुलासे की जानकारी। इससे पुलिस की कार्यशैली पर व्यंग्यात्मक सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस की भूमिका संदेह से परे नहीं मानी जा सकती, चर्चा इस बात की भी है कि इस खुलाशे के बाद पुलिस पर कार्रवाई न करने का दबाव और वजन का सेंसेक्स हाई है.

शहर में जुआ-सट्टा और खाकी कुमार का रिश्ता क्या कहलाता है

रायगढ़ में जुआ और सट्टा कोई नई बात नहीं है। समय-समय पर अलग-अलग इलाकों में कार्रवाई होती रही है, लेकिन स्थायी अंकुश अब तक नहीं लग पाया है। काशीराम चौक का मामला इसी कड़ी का एक और उदाहरण बनता जा रहा है, जहां अब कुमार का नाम और खाकी की भूमिका एक साथ चर्चा का विषय बन चुके हैं। इस अवैध धंधे की जडें केवल जूट मिल थाना क्षेत्र में ही नहीं बल्कि शहर के अन्य थानों तक भी गहराई तक धंसी हुई हैं. आने वाले अंकों में उन सभी जड़ों की गहराई तक पड़ताल करने की कोशिश की जाएगी ताकि खाकी और सफेद पोसों के साथ इस नेटवर्क के धंधे बाजों के असली चेहरे उजागर हो सकें.

Facebook
WhatsApp
Twitter
Telegram