डमरूआ न्यूज़/रायगढ़. कोतरा रोड क्षेत्र में हाईटेंशन टावर लाइन और भूमिगत पाइप लाइन के बीच विकसित की जा रही सन सिटी कॉलोनी को लेकर अब विशेषज्ञों की राय और स्थानीय खरीदारों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। इन दोनों ने मिलकर पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। एक ओर तकनीकी विशेषज्ञों ने इस कॉलोनी को अत्यंत जोखिमपूर्ण बताते हुए स्पष्ट कहा है कि इस प्रकार की जमीन पर किसी भी प्रकार का आवासीय निर्माण सुरक्षित नहीं है, वहीं दूसरी ओर प्लॉट खरीद चुके लोग यह दावा कर रहे हैं कि उन्हें वास्तविक तथ्यों से अनभिज्ञ रखा गया, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से भारी संकट में फंस गए हैं। डमरूआ न्यूज़ के द्वारा प्रकरण उजागर किए जाने के बाद अब इन दोनों की आवाजें तेजी से प्रबल हो रही हैं, जिससे प्रशासनिक दबाव भी बढ़ता दिख रहा है।

विद्युत सुरक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि 132 केवी लाइन के नीचे या उसके निकट किसी भी प्रकार का निर्माण विद्युत नियमों के विपरीत है। उनका कहना है कि हाईटेंशन लाइन में आवृत्ति की अस्थिरता, फ्लैशओवर, आकस्मिक शॉर्ट सर्किट और आर्किंग जैसी तकनीकी परिस्थितियां किसी भी समय गंभीर नुकसान का कारण बन सकती हैं। विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि किसी कॉलोनी में बिजली के टावरों और ट्रांसमिशन लाइन की सुरक्षा दूरी का पालन नहीं किया गया है, तो वह क्षेत्र स्थायी रूप से खतरे के दायरे में आ जाता है। पाइप लाइन विशेषज्ञों ने भी यह चिंता जताई कि भूमिगत पाइप लाइन के ऊपर निर्माण न केवल पाइप को क्षतिग्रस्त कर सकता है, बल्कि किसी भी दुर्घटना में अत्यधिक और व्यापक नुकसान का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार कॉलोनी विकसित करने के लिए यह जमीन किसी भी स्थिति में उपयुक्त नहीं है और यहां निर्माण की अनुमति मिलना असंभव है।
इधर, खरीदारों का पक्ष और अधिक संवेदनशील और मानवीय समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। कई खरीदारों ने डमरूआ न्यूज़ को बताया कि उन्होंने अपनी जीवनभर की बचत लगाकर प्लॉट खरीदने का निर्णय लिया था। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि कॉलोनाइजर के एजेंटों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया था कि कॉलोनी पूरी तरह स्वीकृत है और विभागों से सभी अनुमतियां प्राप्त हैं। कुछ खरीदारों के अनुसार उन्हें नक्शा दिखाया गया, लेकिन वह नक्शा किसी सरकारी विभाग की मुहर या अनुमोदन से रहित था। कई परिवारों ने कहा कि वे अब मनोवैज्ञानिक तनाव और असमंजस की स्थिति में हैं, क्योंकि न तो घर बन सकता है और न ही पैसे वापस मिलने की कोई गारंटी दिखाई देती है। इस स्थिति ने अनेक परिवारों के भविष्य की योजनाओं को ठहराकर रख दिया है।
स्थानीय निवासियों ने भी चिंता जताई है कि कॉलोनी के क्षेत्र में निर्माण होने से न केवल खरीदारों की जान जोखिम में पड़ेगी, बल्कि पूरे आसपास के क्षेत्र में भी दुर्घटना का खतरा बढ़ जाएगा। लोगों ने कहा कि इतनी बड़ी हाईटेंशन लाइन के नीचे पानी की टंकी और आवासीय मकानों की नींव डालना गंभीर प्रशासनिक विफलता का संकेत है। कई निवासियों ने यह भी सवाल पूछा कि जब महीनों से निर्माण चल रहा था, तो विभागों को इसकी जानकारी क्यों नहीं हुई और निरीक्षण क्यों नहीं किया गया। इससे लोगों के मन में यह आशंका भी है कि शायद इस पूरे मामले में विभागों की अनदेखी का कोई संगठित कारण हो सकता है, जिसकी जांच जरूरी है।
इस पूरे विवाद में विशेषज्ञों और खरीदारों की संयुक्त प्रतिक्रियाएं यह स्पष्ट कर रही हैं कि मामला अब केवल नियमों के उल्लंघन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह मानवीय संवेदनाओं, सुरक्षा और आर्थिक भविष्य से जुड़ गया है। प्रशासन का अगला कदम इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाएगा, यह आने वाले दिनों में तय होगा। लेकिन इतना निश्चित है कि सन सिटी कॉलोनी का प्रकरण अब रायगढ़ के अवैध कॉलोनाइजेशन पर एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है और डमरूआ न्यूज़ इस विषय की हर प्रगति को पाठकों तक पहुंचाता रहेगा।

























