Damrua

सोशल मीडिया के वीरो: “अदब सिखाना आता है, पर पहले कानून पर भरोसा है ”

छठ जैसे लोकआस्था पर्व का मज़ाक उड़ाने वाले पर अब तक FIR नहीं; भोजपुरिया समाज ने पुलिस की निष्क्रियता पर उठाए सवाल

आस्था पर चोट और कार्रवाई में सुस्ती — टिल्लू केस में बढ़ रहा जनाक्रोश

ख़बरों का तांडव /रायगढ़. रायगढ़ में सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और स्वयंभू पत्रकार टिल्लू शर्मा द्वारा छठ पर्व को लेकर सोशल मीडिया में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से उत्पन्न विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भोजपुरी समाज सहित शहर के आम नागरिकों ने इस पोस्ट को आस्था पर सीधा प्रहार बताते हुए पुलिस अधीक्षक रायगढ़ से सॉफ्टवेयर FIR दर्ज करने की मांग की थी। बावजूद इसके, पुलिस की कार्रवाई अब तक केवल पूछताछ तक सीमित रही है। कोतवाली पुलिस ने आरोपी को थाने बुलाकर औपचारिकता तो निभाई, किन्तु बाद में बिना किसी ठोस कानूनी कार्रवाई के छोड़ दिया। इस रवैये से समाज में असंतोष और नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
भोजपुरी समाज और अन्य सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले मामलों में अन्यत्र त्वरित FIR और कार्रवाई होती है, तब रायगढ़ पुलिस की यह शिथिलता समझ से परे है। समाज का कहना है कि अगर कानून सबके लिए समान है, तो इस मामले में देरी और ढील क्यों? लोगों का यह भी कहना है कि यह केवल एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय और लोकआस्था के प्रति अपमानजनक मानसिकता का प्रदर्शन है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
समाज के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। उनका कहना है कि श्रद्धा और सभ्यता की सीमा का सम्मान किया जाना चाहिए, अन्यथा प्रशासनिक मौन को सामाजिक आक्रोश तोड़ देगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह मामला शहर में कानून-व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। अब सभी की निगाहें पुलिस प्रशासन पर टिकी हैं कि वह धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले इस प्रकरण में क्या कदम उठाता है।

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