रायगढ़ में आस्था पर तीन वार!
बाबा घासीदास का अपमान, छठ पूजा पर जहर और मंदिर तोड़फोड़ — दो गिरफ्तार, पर एक पर पुलिस की रहस्यमयी चुप्पी!
डमरुआ न्यूज़/ रायगढ़। जिले में बीते कुछ दिनों में धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाने वाली घटनाएं लगातार सामने आई हैं, जिसने शहर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। तीन अलग–अलग मामलों में दो जगह पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि एक मामले में अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं होने से समाज में गहरा असंतोष है।
पहली घटना: बाबा घासीदास पर अभद्र टिप्पणी, आरोपी की परेड
शहर के एक सिंधी समाज के युवक द्वारा शराब के नशे में संत बाबा घासीदास पर आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणी किए जाने के प्रकरण में पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की। आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर कोतवाली थाना से लेकर न्यायालय तक परेड कराई गई। सतनामी समाज के भारी आक्रोश के बाद BNS एवं SC/ST Act के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया गया। दरअसल गुरुवार देर रात रायगढ़ के सिग्नल चौक क्षेत्र में नशे की हालत में एक युवक विजय राजपूत द्वारा गुरु घासीदास जी के प्रति अभद्र टिप्पणी कर वीडियो वायरल करने के मामले में शुक्रवार को पुलिस ने कड़ी कार्रवाई दिखाते हुए आरोपी विजय राजपूत को कोतवाली थाना परिसर से रायगढ़ न्यायालय तक पैदल मार्च कराते हुए ले जाया, इससे पहले वीडियो वायरल होते ही सतनामी समाज में भारी आक्रोश फैल गया था और बड़ी संख्या में लोग कोतवाली व एसपी कार्यालय पहुंचकर गिरफ्तारी की मांग कर चुके थे; धार्मिक आस्था पर टिप्पणी और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में युवक के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है तथा एससी-एसटी अधिनियम सहित संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं, पुलिस प्रशासन ने साफ कहा है कि समाज के संत-महापुरुषों का अपमान व धार्मिक भावना भड़काने जैसे कृत्य किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
दूसरी घटना: छठ पर्व पर टिप्पणी, समाज में उबाल – FIR का इंतजार

दूसरी घटना रायगढ़ शहर की ही है, जहां एक स्वयंभू पत्रकार और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट टिल्लू शर्मा ने छठ पर्व के प्रति अमर्यादित एवं अपमानजनक टिप्पणी सोशल मीडिया पर पोस्ट की। इसके बाद पूर्वांचल भोजपुरी समाज और बिहार-झारखंड मूल के लोगों में भारी नाराजगी फैल गई। समाज के प्रतिनिधियों ने एसपी कार्यालय एवं जूट मिल थाना पहुंच कर ज्ञापन सौंपा और कठोर कार्रवाई की मांग की।
समाज का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। पुलिस द्वारा अब तक FIR दर्ज न किए जाने से असंतोष गहराया है।
तीसरी घटना: घरघोड़ा में मूर्तियों को खंडित किया, आरोपी गिरफ्तार
तीसरी घटना घरघोड़ा क्षेत्र की है जहां अज्ञात व्यक्ति द्वारा मंदिर परिसर में हिंदू देवी–देवताओं की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया। घटना सामने आते ही पुलिस हरकत में आई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
समाज की चेतावनी, पुलिस पर सवाल
समाजों ने चेतावनी देते हुए कहा कि रायगढ़ की साम्प्रदायिक सौहार्द पर हमला करने वालों को बख्शा नहीं जा सकता। दो मामलों में तत्पर कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन छठ पर्व प्रकरण में देरी लोगों के मन में सवाल खड़े कर रही है।
त्वरित टिप्पणी–
शांत रायगढ़ के लिए कठोर और समान कार्रवाई जरूरी
रायगढ़ की पहचान सदियों से शांत, सौहार्दपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समाज की रही है। यहाँ विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों के लोग सह–अस्तित्व की भावना के साथ रहते आए हैं। परंतु हाल की घटनाओं ने इस संतुलन को हिलाने की नापाक कोशिश की है।
चाहे संत गुरु घासीदास जी पर की गई अभद्र टिप्पणी हो, छठ पर्व का उपहास हो या मंदिर में मूर्तियाँ तोड़ने की घटना — ये सिर्फ व्यक्तिगत कृत्य नहीं, बल्कि समाज की आस्था पर हमले हैं।
ऐसे व्यवहार नशे की हालत में हों या सोची-समझी योजना के तहत—दोनों ही स्थितियों में वे उतने ही खतरनाक हैं। सोशल मीडिया ने जहां जनमत और अभिव्यक्ति को शक्ति दी है, वहीं कुछ लोगों ने इसे अराजकता और अश्लीलता का मंच समझ लिया है। बयानबाजी की स्वतंत्रता, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की आज़ादी नहीं है।
पुलिस द्वारा बाबा घासीदास प्रकरण में तत्काल और कठोर कार्रवाई सराहनीय है। इससे यह संदेश गया कि रायगढ़ में किसी भी धर्माचार्य के सम्मान को चुनौती देना सस्ता मनोरंजन नहीं है। लेकिन प्रश्न यह भी है कि इसी तेजी और दृढ़ता की अपेक्षा छठ पर्व प्रकरण में भी है। धर्म और समाज के सम्मान पर कोई दोहरी नीति नहीं हो सकती। कानून सबके लिए समान है और लागू भी समान होना चाहिए।
समाजों की भावनाओं का सम्मान करना जरूरी है, परंतु न्याय भी उतना ही आवश्यक है। किसी एक मामले में त्वरित कार्रवाई और दूसरे में प्रतीक्षा समाज में भेदभाव की भावना और असंतोष पैदा कर सकती है। यह माहौल अफवाहों, उग्रता और अविश्वास को जन्म देता है।
प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित प्रकरण दर्ज करे, सोशल मीडिया अपराधों पर निगरानी बढ़ाए,
समुदायों के बीच शांति संवाद बनाए रखे,समान नीति अपनाकर विश्वास बहाल करे
लोकतंत्र में विरोध का अधिकार है, परंतु यह अधिकार संयम और विधि सम्मत व्यवहार की सीमा में है। कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है—न आरोपी को, न आक्रोशित समुदाय को। समाज को भी उग्र प्रतिक्रिया से बचते हुए, शांतिपूर्ण और विधिक मार्ग पर विश्वास बनाए रखना चाहिए।
रायगढ़ को ऐसी आग नहीं चाहिए, जो कुछ शरारती लोगों की कमजोरी बनकर शहर की ताकत को चिता बना दे। इस मिट्टी की तहजीब और तमीज को बचाना प्रशासन और नागरिक—दोनों की जिम्मेदारी है। धर्म, समाज और कानून – तीनों का सम्मान ही शांति का आधार है और इस आधार को मजबूत और निष्पक्ष कार्रवाई से ही सुरक्षित रखा जा सकता है.
































