हरविलास एंड संस पर करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला, फिर भी अब तक गिरफ्तारी नहीं — पुलिस के बहाने सवालों के घेरे में
डमरूआ न्यूज़ /रायगढ़। पूंजीपथरा थाना क्षेत्र के चर्चित फर्जी गिफ्ट डीड घोटाले में उद्योगपति हरविलास अग्रवाल और उनके पुत्रों पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पुलिस की ओर से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। इससे न केवल आम नागरिकों बल्कि कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों में भी रोष व्याप्त है।
लोगों का कहना है कि जब मामूली अपराध में गरीब या सामान्य व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है, तब ऐसे भारी आर्थिक अपराध में पुलिस का “जांच जारी है” वाला रवैया केवल रसूखदारों के प्रति नरमी दर्शाता है।
जनता का आरोप — “अमीर के लिए कानून ढीला, गरीब के लिए कठोर”
शहर में चर्चा है कि हरविलास एंड संस जैसे रसूखदारों की जेब में खाकी वर्दी जा चुकी है। नागरिक संगठनों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं जब पुलिस ने प्रभावशाली लोगों के मामले में “धीमी कार्रवाई” की हो।
एक व्यापारी ने कहा, “अगर यही अपराध किसी छोटे व्यक्ति ने किया होता तो वह अब तक थाने के लॉकअप में होता। यहाँ करोड़ों के फर्जीवाड़े में आरोपी खुले घूम रहे हैं और पुलिस सिर्फ जांच की बात कर रही है।”
वकीलों ने उठाए सवाल — “कहाँ हैं पुलिस के प्रयास?”
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि आज के डिजिटल दौर में किसी आरोपी को ट्रेस करना मुश्किल नहीं है।
“मोबाइल लोकेशन, बैंक ट्रांज़ैक्शन और कंपनी रिकॉर्ड की जांच के जरिये आरोपी तक पहुँचना संभव है। सवाल यह है कि पुलिस ने अब तक इन तरीकों का उपयोग क्यों नहीं किया?” — अधिवक्ता ने कहा।
उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं तो गिरफ्तारी में देरी अपने आप में जांच की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न है।
पुलिस का पक्ष — “प्रक्रिया चल रही है”
पूंजीपथरा थाना प्रभारी ने बताया कि जांच न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार की जा रही है और आरोपियों की तलाश जारी है।
“हमने दस्तावेज़ों, नोटरी बयानों और ट्रांसफर प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी है। गिरफ्तारी से पहले आवश्यक विधिक औपचारिकताएँ पूरी की जा रही हैं,”
थाना प्रभारी ने कहा।
हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि कितनी टीमों ने आरोपियों की तलाश में छापेमारी की या मोबाइल लोकेशन ट्रेसिंग के क्या प्रयास किए गए।
विपक्षी पक्ष का दावा — “यह पारिवारिक विवाद है”
हरविलास एंड संस की ओर से कहा गया कि मामला पारिवारिक विवाद है, जिसे मीडिया और राजनीतिक दबाव में गलत रूप दिया जा रहा है।
“दो माह पूर्व हमने ही रायपुर के तेलीबांधा थाने में दूसरे पक्ष पर मारपीट का मामला दर्ज कराया था। अब उसी पृष्ठभूमि में हमारे खिलाफ फर्जी FIR दर्ज कर बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।” परंतु इनकी ओर से यह नहीं बताया जा रहा है कि आखिर यह फर्जीवाड़ा उन्होंने क्यों किया है, वह यह क्यों नहीं कह रहे हैं कि उन्होंने नोटरी से कोई भी गिफ्ट डीड नहीं बनवाई है. फर्जीवाड़े के दस्तावेजी साक्ष्य पुलिस के पास मौजूद है इसी आधार पर FIR दर्ज हुई है, इस पूरे प्रकरण में रायगढ़ इतवारी बाजार के एक नोटरी नरेश मिश्रा की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, शिकायतकर्ता ने जिस आधार पर पूंजीपथरा थाने में FIR दर्ज कराई है उसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि गिफ्ट डीड को पुराने स्टांप पर नोटरी किया गया है, जबकि गिफ्ट डीड तैयार करने का नोटरी को कोई पावर ही नहीं है. स्पष्ट है कि यह पूरा फर्जी वाड़ा सुनियोजित था जिसकी जांच पुलिस द्वारा की जा रही है और पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन रिपोर्ट में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा यद्यपि इस मामले में अब तक नोटरी पक्ष की ओर से भी कोई सफाई नहीं दी गई है.
कानूनी व सामाजिक संगठनों की चेतावनी
जनसंगठनों ने 48 घंटे में ठोस कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि पुलिस स्पष्ट जवाब नहीं देती, तो वे जनहित याचिका (PIL) दाखिल करेंगे ताकि जांच स्वतंत्र एजेंसी (EOW या विशेष टीम) को सौंपी जा सके।
लोगों का कहना है — “कानून का अर्थ तभी है जब वह सबके लिए समान हो। अगर पुलिस रसूखदारों के सामने झुकी तो न्याय की नींव ही कमजोर होगी।”
सूत्रों के अनुसार, मामले से जुड़े दस्तावेज़ कंपनी रिकॉर्ड और नोटरी पंजी में जांचाधीन हैं।
रायगढ़ में यह मामला अब सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि कानून के दोहरे मापदंडों का प्रतीक बन गया है।
जहाँ गरीब और सामान्य लोगों पर कार्रवाई बिजली की गति से होती है, वहीं करोड़ों के फर्जीवाड़े में पुलिस की “धीमी चाल” ने पूरे प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि —
क्या पुलिस अब सख्त कदम उठाएगी?
या फिर यह मामला भी रसूखदारों की “जेब में रखी खाकी” की मिसाल बन जाएगा?