- फर्जी गिफ्ट डीड घोटाले में आरोपी उद्योगपति हरविलास एंड संस अब भी खुलेआम घूम रहे, करते फिर रहे पुलिस और मीडिया का मैनेजमेंट
- करोड़ों के फर्जीवाड़े की FIR के बाद भी गिरफ्तारी न होने से उठे गंभीर सवाल
डमरूआ न्यूज़/रायगढ़। करोड़ों रुपये के फर्जी गिफ्ट डीड घोटाले में नामजद उद्योगपति हरविलास अग्रवाल और उनके पुत्रों की गिरफ्तारी अब तक न होने से पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जहां साधारण नागरिकों पर पुलिस तुरंत कार्रवाई कर देती है, वहीं इस हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराध में पुलिस का रवैया बेहद ढीला और संदिग्ध दिखाई दे रहा है।
पूंजीपथरा थाना क्षेत्र में दर्ज इस मामले में आरोप है कि श्री बांके बिहारी इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को फर्जी गिफ्ट डीड के जरिये हड़पा गया, जिसकी कुल राशि लगभग 4.5 करोड़ रुपये आंकी गई है। पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध तो कर लिया, लेकिन इसके बाद से जांच “सिर्फ कागज़ों तक” सीमित रह गई है।
पुलिस की सुस्ती पर सवाल
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आरोपी उद्योगपति शहर के एक प्रभावशाली कारोबारी परिवार से जुड़े हैं और राजनीतिक संरक्षण के चलते पुलिस गिरफ्तारी से परहेज़ कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि बीते तीन दिनों से आरोपियों की शहर में मौजूदगी की जानकारी पुलिस के पास होने के बावजूद कोई गिरफ्तारी कार्रवाई नहीं की गई।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा —
“जब कोई आम नागरिक इस तरह के आर्थिक अपराध में फंसता है तो तुरंत जेल भेज दिया जाता है।
लेकिन रसूखदारों के मामले में पुलिस की चुप्पी न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।”
🗓️ पहला दिन: फर्जी गिफ्ट डीड बनाकर 4.5 करोड़ की ठगी का मामला उजागर
🗓️ दूसरा दिन: हरविलास एंड संस ने पुरानी FIR दिखाकर मीडिया में भ्रम फैलाने की कोशिश
🗓️ तीसरा दिन: पुलिस पर आरोप – रसूखदारों को बचाने के लिए जानबूझकर देरी
कानून का भय केवल कमजोरों के लिए?
रायगढ़ के नागरिकों का कहना है कि यह मामला अब केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि पुलिस निष्पक्षता की परीक्षा बन गया है।
कई सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू या किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपी जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
डमरूआ न्यूज़ का सवाल
🔹 क्या रायगढ़ पुलिस बड़े उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है?
🔹 आखिर तीन दिन बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं?
🔹 क्या आर्थिक अपराधों में रसूखदारों को विशेष सुरक्षा दी जा रही है?
अब देखना यह होगा कि पुलिस कब तक इस “सामाजिक और कानूनी दबाव” के आगे झुकती है, और क्या रायगढ़ में कानून का डर सबके लिए समान रहेगा या नहीं…