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फर्जी गिफ्ट डीड कांड: अब मीडिया मैनेजमेंट से साजिश छिपाने की कोशिश!

हरविलास एंड संस पर 4.5 करोड़ की फर्जीवाड़े की FIR के बाद पुराने मामले को उछालकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश — दो माह पूर्व की रिपोर्ट को बताकर गुमराह करने का प्रयास

डमरूआ न्यूज़ /रायगढ़।
श्री बांके बिहारी इस्पात प्रा. लि. से जुड़े 4.5 करोड़ रुपए के फर्जी गिफ्ट डीड कांड में आरोपी उद्योगपति हरविलास अग्रवाल और उनके पुत्रों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब जब कि पूंजीपथरा थाना में धारा 420 सहित अन्य गंभीर धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज हो चुका है और पूरा मामला रायगढ़ की मीडिया की सुर्खियों में है, वहीं दूसरी ओर हरविलास एंड संस की ओर से मीडिया मैनेजमेंट के जरिए कहानी को पलटने की कोशिश की जा रही है।

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पहले दिन की बड़ी खबर (पृष्ठभूमि समझिए)

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“पूंजीपथरा थाना क्षेत्र में उद्योगपति हरविलास अग्रवाल, उनके पुत्रों और अन्य के खिलाफ फर्जी गिफ्ट डीड बनाकर 4.5 करोड़ के शेयर हड़पने का मामला दर्ज किया गया है।”
(डमरूआ न्यूज़ / रायगढ़ — 16 अक्टूबर की रिपोर्ट)

पुराने मामले का सहारा लेकर नया मोर्चा

सूत्रों के अनुसार, आरोपियों की ओर से दो माह पूर्व रायपुर के तेलीबांधा थाने में दर्ज एक पुरानी FIR को अब “विपक्ष पर मारपीट का मामला” बताकर मीडिया के सामने रखा जा रहा है। यह रिपोर्ट पुरानी पारिवारिक कहासुनी से जुड़ी बताई जा रही है।
लेकिन अब जब फर्जीवाड़े की FIR दर्ज हो चुकी है और मामला आर्थिक अपराध की दिशा में जांच में है, तो हरविलास एंड संस की ओर से इस पुराने केस को सामने लाना “पब्लिक सिम्पथी और मीडिया भ्रम” फैलाने की रणनीति माना जा रहा है।

मामले की असल जड़: फर्जी शेयर डीड

पुलिस के अनुसार, कंपनी के शेयरों को फर्जी गिफ्ट डीड के माध्यम से अपने नाम कर लेने की कुचाल रची गई थी। दस्तावेजों की जांच में जालसाजी के ठोस साक्ष्य मिलने के बाद हरविलास अग्रवाल और उनके पुत्रों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया।

 बचाव में ‘पारिवारिक विवाद’ का बहाना

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पूरे मामले पर उद्योगपति परिवार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। केवल यह कहा जा रहा है कि —
“यह पारिवारिक विवाद है, जिसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।”
लेकिन आर्थिक अपराध शाखा और पुलिस जांच इसे केवल पारिवारिक विवाद नहीं मान रही, बल्कि कंपनी शेयर ट्रांसफर में फर्जीवाड़े का संगठित अपराध मान रही है।

आगे क्या — गिरफ्तारी कब?

अब सवाल यह है कि जब मामले में दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद हैं, तो क्या हरविलास अग्रवाल और उनके पुत्रों की गिरफ्तारी होगी या नहीं। इस हाई प्रोफाइल कारोबारी विवाद में पुलिस का अगला कदम पूरे रायगढ़ जिले की निगाहों में है।

damrua.com विश्लेषण:

“आर्थिक अपराधों में मीडिया भ्रम पैदा करना कोई नई बात नहीं, पर रायगढ़ के इस केस में ‘सत्य’ अब सबूतों के साथ सामने आ रहा है।”

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