डमरूआ न्यूज/रायगढ़। थाना प्रभारी घरघोड़ा एवं उनके दो आरक्षकों को पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने लाईन अटैच कर उर्दना बटालियन बुलवा लिया है। यह कार्रवाई थाना प्रभारी के विरूद्ध एक शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद की गई है, जिसमें शिकायतकर्ता भूपदेव सिंह राठिया पिता पूरन सिंह राठिया, निवासी ग्राम घरघोड़ी द्वारा पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल से इस बात की शिकायत की थी कि घरघोड़ा पुलिस महुआ शराब बनाकर बेचने का आरोप लगाकर एवं छोटा केस बनाकर छोड़ देने के एवज में डरा धमका कर जबरन रूपए की वसूली कर रही है। इस शिकायत के मिलने पर पुलिस अधीक्षक रायगढ़ ने पुलिस अधीक्षक (सायबर ) से जांच करवाई जिसमें प्रारंभिक जांच में शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर घरघोड़ा थाना प्रभारी हर्षवर्धन सिंह बैस, आरक्षक- 378 दिलीप साहू एवं आरक्षक-13 प्रेम राठिया को तत्काल प्रभाव से लाईन अटैच कर दिया गया है। अब इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा उप पुलिस अधीक्षक (सायबर ) जिला रायगढ़ को सौंप दिया गया है।
घरघोड़ा में रेत, कोल, लकड़ी और कबाड़ तस्करों से यारी….ये सब दिखावे की कार्रवाई
घरघोड़ा में चोरी और तस्करी करने वालों से महागठबंधन किसी से छिपा नहीं है, पुलिस, पक्ष एवं विपक्ष की भूमिका यहां हमेशा ही सवालों के घेरे में रहती है। यहां खुले आम रेत तस्करी साल के 12 महीने बेधड़क चलती है, कारण है कि यहां पुलिस, खनिज से लेकर पक्ष और विपक्ष तक सभी का हित इस तस्करी और तस्करों से जुड़ा हुआ है, ऐसा आम लोगों का मानना है। घरघोड़ा में जब साल के 12 महीने इतने व्यवस्थित रूप से चोरी और तस्करी का कारोबार चलता हो तो भला थानेदार की महज 1 शिकायत इतनी गंभीर कैसे हो सकती है कि उसे लाईन अटैच कर दिया जाए। पुलिस महकमें में ईमानदारी की कसमें हर एक पुलिस वाला खाता दिखाई दे देता है, लेकिन क्या हकीकत में ऐसा कोई वर्दीधारी आपको मिलेगा जो व्यावहारिक रूप से ईमानदार हो। शायद यह किसी वर्दीधारी के बस की बात भी नहीं, क्योंकि यदि आपको बटालियन से थाना आना है तब आपको अपनी ईमानदारी को खूंटी पर टंगा कर साहब के प्रति ईमानदारी और वफादारी दिखानी होगी। बहरहाल घरघोड़ा में यह कोई पहली मर्तबा नहीं हुआ है कि किसी थानेदार को लाईन हाजिर किया गया हो, इसके पूर्व भी यहां के कई थाना प्रभारी लाईन हाजिर हो चुके हैं। लेकिन हर बार यही बात सामने आई कि शिकायत तो एक बहाना था दरअसल राजनीति भुनाना था !
क्या अब किसी ईमानदार ओके टेस्टेड नए थानेदार की तैनाती होगी या बेहतर लाईजन भेजा जाएगा
पुलिस कप्तान की इस कार्रवाई के बाद यह तय है कि अब घरघोड़ा को नया थानेदार मिलेगा। शायद ऐसा थानेदार जिस पर पुलिस अधीक्षक को पूरा भरोसा होगा और वो उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा, तो सवाल यह है कि अब यहां आने वाला नया थानेदार ईमानदारी की कसमों पर खरा उतरेगा। यदि ईमानदार होगा तो शायद उसे भी अभी से अपनी अगली पोस्टिंग की तैयारी करनी पड़ेगी, भ्रष्टाचारी होगा तो यहां से जाएगा ही, यह भी तय है। हां ! एक बेहतर लाईजन की जरूरत इस थाना को है, जो क्षेत्र में नान स्टाप होने वाली चोरियों और तस्करी की बेहतर लाईजनिंग के साथ साथ पक्ष और विपक्ष को पूरी तरह से संतुष्ट रख सके।
दो थानेदार बदल गए नहीं पकड़ा गया खूनी रेत तस्कर
आप सोच रहे होंगे कि हम इस खबर में पुलिस और पक्ष विपक्ष की इतनी तारीफें क्यों कर रहे हैं तो इसके पीछे कई तथ्य हैं फिर भी उन्हें कभी और लेकिन एक छोटा सा जवाब सुनते जाईये। कुरकुट नदी में रेत तस्करी साल भर बेरोकटोक होती है। रेत तस्कर जमकर खर्च करते हैं। रेत तस्करों से अपनी जेबें कौन-कौन भरता है, इस बात की जानकारी शायद ही किसी को न हो। सफेद पोशों से लेकर खाकी तक इस दाग से रंगे हुए नहीं बल्कि सने हुए हैं। ऐसे में आज से 7 माह पूर्व एक रेत तस्कर ने अपना ट्रैक्टर एक नाबालिग लड़के पर चढ़ा दिया जिससे उसकी मौत हो गई। पीड़ित पक्ष थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक, जिला भाजपा अध्यक्ष, सांसद…. न जाने कहां-कहां तक इस बात की गुहार लगा चुका है कि पुलिस उसके बेटे के कातिल रेत तस्कर और उसके ट्रैक्टर को पकड़ कर कानूनन कार्रवाई करे, लेकिन 7 माह बाद भी न तो रेत की तस्करी बंद हुई न ही खूनी रेत तस्कर पर कोई कार्रवाई हो सकी है। ऐसे में खबर यह आती है कि एक थानेदार को उसके दो आरक्षकों के साथ लाईन हाजिर कर दिया गया है वो भी इस आरोप में कि उसने एक व्यक्ति से रूपए की मांग की है। काफी हैरान करने वाली खबर इसलिए है इस शिकायत में नया क्या है, ऐसी शिकायतें नई तो नहीं फिर ये दिखावे की कार्रवाई क्यों। सिस्टम तो इसके बाद भी ऐसा ही चलेगा जैसा कि अब तक चलता आया है।
आखिर लोगों की जुबान पर पुरानी कहावत यूं ही नहीं है कि- ‘‘चोर-चोर मौसेरे भाई !‘‘