सारंगढ़ डेस्क।।एक तरफ सरकार ‘स्वच्छ जल, स्वस्थ जीवन’ की बात करती है, और दूसरी ओर सारंगढ़ नगर पालिका परिषद वार्ड क्रमांक 01 में डिग्री कॉलेज के समीप एक पत्खथर खदान में सीधा मौत का सामान उड़ाया जा रहा है। जी हां, जिस खदान में अब भी पानी भरा हुआ है, वहां फ्लाई ऐश (Thermal Plant की राख) को खुलेआम डंप किया जा रहा है।
ना कोई सुरक्षा इंतजाम, ना कोई वैज्ञानिक तरीका—बस सीधी राख और सैकड़ों ज़िंदगियों पर सीधा खतरा!
निस्तारण वहीं, राख भी वहीं!
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे खदान के इसी हिस्से में निस्तारण करते हैं, यानी वही पानी घरेलू उपयोग में आता है। अब सोचिए—जिस जगह लोग अपने कपड़े धोते हैं, खुद नहाते हैं, और शायद बच्चों को नहलाते हैं—वहीं पर राख के टीलों का अंबार लगाया जा रहा है।
क्या नलों से घरों तक पहुंच रहा है फ्लाई ऐश वाला पानी?
स्थानीयों का शक है कि यही खदान का पानी नलों के ज़रिए उनके घरों तक पहुंच रहा होगा । अगर ऐसा है, तो ये एक सामान्य लापरवाही नहीं बल्कि जानबूझकर की गई एक गंभीर लापरवाही है, जिसकी चपेट में सैकड़ों लोग आ सकते हैं।
खतरा कितना बड़ा है? जानिए विशेषज्ञ क्या कहते हैं:
©फ्लाई ऐश में होता है आर्सेनिक, लेड, मर्करी जैसे ज़हरीले तत्व पानी में मिलते ही ये बन जाते हैं बीमारियों की फैक्ट्री।
©हो सकती हैं गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर, अस्थमा, त्वचा रोग और बच्चों में सांस की समस्याएं ।
नियमों की धज्जियां उड़ती साफ दिख रही हैं:
© खदान सूखी नहीं है
© शायद राख डालने से पहले कोई geo-membrane नहीं
© शायद न ही किसी वैज्ञानिक संस्था से अनुमति ली गई है
प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों में गुस्सा
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। “क्या हमें बीमारियों से मरने के बाद कोई सुनेगा?
अब सवाल सीधा है:
@ क्या खदान को भरने के नाम पर हो रहा है जहर का कारोबार?
© क्या वार्ड वासियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है ठेकेदार?
© और सबसे बड़ा सवाल—प्रशासन कब जागेगा?