बिलाईगढ़ डमरुआ। चिकनी डीह घाट में एक बार फिर अवैध रेत खनन ने रफ्तार पकड़ ली है। पोकलेन मशीनों से खुलेआम रेत निकाली जा रही है और 60 से 70 ट्रैक्टरों में भरकर इसे धड़ल्ले से ढोया जा रहा है। हालात इतने बेकाबू हैं कि मानो माफियाओं को प्रशासन का कोई डर ही नहीं रह गया है।
बात अगर पिछले साल की करें, तो मई 2024 में तत्कालीन खनिज अधिकारी भारद्वाज के निर्देश पर अनुराग नंद ने इसी घाट पर जोरदार कार्रवाई करते हुए 6 ट्रैक्टरों को अवैध रेत परिवहन करते पकड़ा था। यह कार्रवाई उस समय एक मिसाल बन गई थी। अनुराग नंद की सतत निगरानी और प्रतिबद्धता के चलते 2024 में अवैध खनन पर लगाम लगाने की कई कोशिशें दिखाई दी थीं।
2025 में क्यों छा गया सन्नाटा?
लेकिन 2025 में स्थिति बिल्कुल उलट नजर आ रही है। खनिज की लूट मारी अपने चरम पर है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा हुआ है। अधिकारियों की ओर से कुछ छोटी-मोटी कार्रवाई जरूर की गई, लेकिन रेत के इस अवैध साम्राज्य पर उसका असर नगण्य है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि जितनी अवैध खुदाई हो रही है, उसमें से शायद ही 10 प्रतिशत पर कार्रवाई हुई हो।
फिर जागे अनुराग नंद, जल्द कार्रवाई का आश्वासन
अब एक बार फिर अनुराग नंद को चिकनी डीह घाट की स्थिति से अवगत कराया गया है। उन्होंने विभागीय कार्रवाई की पुष्टि करते हुए जल्द ही मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेने और सख्त कदम उठाने की बात कही है।
क्या अब थमेगा रेत माफियाओं का खेल?
चिकनी डीह घाट में अवैध रेत खनन का यह सिलसिला न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरण और नदी की सेहत के लिए भी खतरनाक है। अब देखना होगा कि क्या इस बार भी अनुराग नंद वैसी ही ताबड़तोड़ कार्रवाई कर पाएंगे जैसी उन्होंने 2024 में की थी, या फिर यह मामला भी कागजों तक सिमट जाएगा।