Damrua

भीषण गर्मी में बिजली विभाग की बेरुखी! सारंगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण बेहाल, अघोषित कटौती ने बढ़ाई मुश्किलें

सारंगढ़-बिलाईगढ़/damrua डेस्क 

अप्रैल की तपती दोपहर और उमस भरी रातों में जहां लोगों को राहत देने के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सबसे जरूरी होनी चाहिए, वहीं इस वक्त बिजली विभाग की मनमानी और लापरवाही आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। बात सिर्फ गर्मी की नहीं है, बात उस सिस्टम की है जो हर साल इसी मौसम में फेल हो जाता है, और जवाबदेही की जगह बहानेबाजी करता है।

 

गर्मी आते ही ‘मेंटेनेंस’ याद क्यों आता है?

बिजली विभाग हर साल गर्मी की शुरुआत में मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती करता है। सवाल उठता है कि क्या विभाग को साल के बाकी महीनों में यह मेंटेनेंस दिखाई नहीं देता? क्यों नहीं सर्दियों या वसंत के मौसम में ही जरूरी मरम्मत कर ली जाती, ताकि अप्रैल-मई की आग उगलती गर्मी में उपभोक्ता परेशान न हों?

 

“घंटों की नहीं, अब मिनटों की कटौती!”

अब हालात ये हो गए हैं कि दिन में जब मन होता है, बिजली काट दी जाती है—कभी एक घंटे, कभी दो घंटे, और वो भी बिना किसी पूर्व सूचना के। लोगों को न तो इसकी जानकारी मिलती है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था। यह कटौती रोज़मर्रा के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है—पीने के पानी की समस्या, मोबाइल बंद, भीषण गर्मी से राहत पाने पंखे कूलर बंद, बिजली गुल होने से और भी अन्य समस्याएं उत्पन्न और विशेषकर कोई मरीज है तो वे बेहाल।

 

ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और बदतर

गुडेली, टीमरलगा, छर्रा, हिर्री, हरदी जैसे गांवों में लोग लगातार बिजली कटौती से त्रस्त हैं। ग्रामीणों का कहना है कि थोड़ी सी बूंदाबांदी होते ही बिजली काट दी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विभाग ने अपनी प्रणाली को इतना कमजोर बना लिया है कि हल्का मौसम परिवर्तन भी बर्दाश्त नहीं कर पाता?

 

“सिर्फ ठेकेदारों और लोड मैनेजमेंट का बहाना”

बिजली विभाग की तरफ से अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि लोड शेडिंग ज़रूरी है या कहीं कोई तकनीकी कार्य चल रहा है, लेकिन यह जवाब अब बासी लगने लगा है। जनता को उम्मीद है कि विभाग पारदर्शिता अपनाए और कटौती के बारे में स्पष्ट जानकारी दे।

 

जनता की मांग: जवाबदेही और सुधार

लोगों की मांग है कि—

1.बिजली कटौती की स्पष्ट सूचना समय से दी जाए।

2.मेंटेनेंस कार्य की योजनाएं पहले से बनाई जाएं।

3.आपात स्थिति में हेल्पलाइन काम करे और तत्काल समाधान हो।

4.गांवों की ओर भी विभाग बराबर ध्यान दे, न कि सिर्फ शहरों तक सीमित रहे।

 

अंत में सवाल यही है

क्या बिजली विभाग वास्तव में जनता के हित में काम कर रहा है, या फिर हर साल की तरह इस बार भी गर्मी में उपभोक्ताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है? अब वक्त आ गया है कि जवाबदेही तय हो और बदलाव की शुरुआत की जाए।

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