सारंगढ़/गुडेली, । सरसरा इलाके में अवैध खनन के खेल की चर्चाएं जोरों पर हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि खनिज विभाग और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। बिना रॉयल्टी चुकाए पत्थरों की सप्लाई गुडेली और टीमरलगा के कई क्रेशर प्लांटों में हो रही है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस पूरी प्रक्रिया में वैध रॉयल्टी कैसे दिखाई जा रही है?
क्या प्रशासन के पास इन सवालों का जवाब है?
जिन खदान मालिकों के पास वैध खदानें हैं, अगर वहां से पत्थर निकाला ही नहीं गया या बहुत कम मात्रा में निकाला गया, तो फिर ज्यादा मात्रा में पत्थर कैसे दिखाया जा रहा है?
क्या अवैध रूप से निकाले गए पत्थरों को किसी और खदान के रॉयल्टी रिकॉर्ड में जोड़कर दिखाया जा रहा है?
अगर ऐसा हो रहा है, तो क्या खनिज विभाग को इसकी जानकारी नहीं है?
यदि विभाग को जानकारी है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

क्या होगी कार्रवाई?
यह मामला सिर्फ खनिज विभाग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि जल्द ही इस पर संज्ञान नहीं लिया गया, तो यह स्पष्ट संकेत होगा कि कहीं न कहीं प्रशासनिक तंत्र में भी लापरवाही या मिलीभगत हो सकती है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन और खनिज विभाग इस पर क्या जवाब देते हैं और क्या इस अवैध खनन पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं?
Watch Video