Sarangarh News:कटंगपाली में डोलोमाइट खनन माफिया संजय मिरी बेखौफ होकर अवैध खनन कर रहा है, लेकिन प्रशासन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। बोंदा मुड़ा इलाके में बिना किसी वैध अनुमति के डोलोमाइट पत्थर निकाला जा रहा है और कटंगपाली के विभिन्न क्रेशर उद्योगों को बेचा जा रहा है, जो खुद भी इस गोरखधंधे में बराबर के भागीदार हैं।
शासन को लाखो-करोड़ो का नुकसान, पर माफिया बेखौफ!
संजय मिरी का यह अवैध कारोबार प्रशासन को लाखों -करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं। खनन विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन सवाल उठता है—आखिर कब? क्या प्रशासन इस माफिया के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह खेल यूं ही चलता रहेगा?
क्रेशर मालिक भी फंस सकते हैं कानूनी शिकंजे में!
गौर करने वाली बात यह है कि अवैध डोलोमाइट की सप्लाई लेने वाले क्रेशर उद्योग भी इस अपराध में शामिल हैं। यदि खनन विभाग ने संजय मिरी पर कार्रवाई की, तो इन क्रेशर मालिकों पर भी गाज गिर सकती है। ऐसे में जो भी इस अवैध पत्थर की खरीद-फरोख्त कर रहा है, वह जल्द ही कानूनी पचड़ों में फंस सकता है।
खनन विभाग की सुस्ती या मिलीभगत?
खनन विभाग के अफसर अब तक केवल आश्वासन देने में ही लगे हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई कर संजय मिरी और अन्य दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही करे, ताकि इस अवैध कारोबार पर हमेशा के लिए रोक लगाई जा सके। वरना, यह माफिया ऐसे ही बेखौफ होकर शासन को चूना लगाता रहेगा और इलाके की प्राकृतिक संपदा का दोहन करता रहेगा।
अब देखना यह है कि प्रशासन सिर्फ बयानबाजी करेगा या फिर माफिया पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर उसकी जड़ों को उखाड़ फेंकेगा!
क्रेशर संचालकों की बड़ी चालबाजी, वैध लीज होते हुए भी अवैध पत्थर खरीदकर बेच रहे रॉयल्टी!
कटंगपाली में डोलोमाइट खनन का गोरखधंधा सिर्फ संजय मिरी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कुछ क्रेशर संचालक भी गहरी मिलीभगत किए हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई के पास खुद की लीज वाली खदानें हैं, लेकिन वे वहां खुदाई करने के बजाय संजय मिरी जैसे माफियाओं से अवैध पत्थर खरीद रहे हैं और उसे रॉयल्टी सहित बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।
अगर जांच हुई तो कई क्रेशरों पर लग सकते हैं ताले!
यदि खनन विभाग ईमानदारी से सूक्ष्म जांच करे, तो ऐसे कई क्रेशर पकड़े जा सकते हैं, जो अपनी लीज की खदानों का उपयोग न करके अवैध पत्थर की खरीद-फरोख्त में लगे हैं। इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो कई क्रेशर उद्योगों पर ताले लग सकते हैं, लेकिन यह तभी संभव होगा जब विभाग इस मामले को गंभीरता से ले।
खनिज विभाग के अफसर क्या दिखाएंगे सख्ती?
यह मामला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि साल दर साल लाखों-करोड़ों के राजस्व की क्षति हो रही है। हालांकि, यदि जिले के तेज-तर्रार खनिज अधिकारी बजरंग पैकरा और युवा खनिज इंस्पेक्टर दीपक पटेल इस मामले को गंभीरता से लें और सख्त कार्रवाई करें, तो इस गोरखधंधे पर पूरी तरह से रोक लग सकती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक माफियाओं पर शिकंजा कसता है या फिर यह अवैध धंधा यूं ही चलता रहेगा!