डमरुआ न्यूज़ /रायगढ़।
नगर निगम चुनाव का माहौल गर्म हो चुका है। महापौर से लेकर वार्ड मेंबर तक के पदों के लिए जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है। महापौर पद के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच सीधा संघर्ष है। भाजपा ने जीवर्धन चौहान, जिन्हें लोग “चायवाले” के नाम से जानते हैं, को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व महापौर जानकी काटजू पर भरोसा जताया है।
पूर्व महापौर का कार्यकाल सवालों के घेरे में
जानकी काटजू का पिछला कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेता उनके कार्यशैली से असंतुष्ट थे और कई मौकों पर उनके खिलाफ मोर्चा भी खोलना पड़ा। चर्चा यहां तक रही कि जब वह अपने ही वार्ड में चुनाव प्रचार करने गईं, तो कई लोगों ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस बार उन्हें दोबारा महापौर के रूप में स्वीकार करेगी या नहीं।
भाजपा ने मोदी मॉडल अपनाया, चायवाले को बनाया प्रत्याशी
भाजपा ने महापौर पद के लिए जीवर्धन चौहान को मैदान में उतारकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह “चायवाले” के नाम पर प्रचार अभियान शुरू किया है। पार्टी का कहना है कि यदि महापौर भी भाजपा का होगा, तो नगर निगम और राज्य सरकार की बेहतर समन्वय से रायगढ़ का चौमुखी विकास होगा। भाजपा अपने प्रत्याशी को प्रदेश के राजस्व मंत्री और रायगढ़ विधायक ओ.पी. चौधरी के संरक्षण में चुनावी रण में उतार चुकी है। माना जा रहा है कि यदि भाजपा का महापौर बनता है, तो रायगढ़ को बड़े बजट का फायदा मिलेगा।
वार्ड 19 में भाजपा के सुरेश गोयल बनाम कांग्रेस की “लाड़ली” शालू अग्रवाल
नगर निगम चुनावों में वार्ड नंबर 19 भी सुर्खियों में है। भाजपा ने अपने मजबूत प्रत्याशी पूर्व सभापति सुरेश गोयल को उतारा है, तो कांग्रेस ने मारवाड़ी समाज की बेटी शालू अग्रवाल को मैदान में भेजकर उन्हें चुनौती देने की कोशिश की है।
सुरेश गोयल की छवि मजबूत, वार्ड में गहरी पकड़
सुरेश गोयल सिर्फ भाजपा के नेता नहीं बल्कि एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनकी शहर में गहरी पकड़ है और वे वार्ड के मतदाताओं के बीच लोकप्रिय माने जाते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह मुकाबला आसान नहीं होगा।
शालू अग्रवाल को वार्ड में पारिवारिक बढ़त
शालू अग्रवाल का मायका और ससुराल दोनों वार्ड 19 में ही है, जिससे कांग्रेस को उम्मीद है कि उन्हें ज्यादा समर्थन मिलेगा। हालांकि, शहर में कांग्रेस सरकार के प्रदर्शन को लेकर असंतोष को देखते हुए यह सवाल बना हुआ है कि क्या मतदाता वार्ड में भी बदलाव चाहेंगे?
महापौर पद के लिए इंजीनियर और जिंदल कर्मी भी मैदान में
इस चुनाव में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ही नहीं बल्कि स्वतंत्र उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। महापौर पद के लिए एक उम्मीदवार खुद को “इंजीनियर” बताकर प्रचार कर रहे हैं, तो एक जिंदल कर्मी “स्वच्छ राजनीति” की बात करते हुए चुनावी मैदान में हैं।
शहर के लोग चुनावी मौसम में अचानक समाज सेवा और स्वच्छ राजनीति की बात करने वालों को लेकर संदेह जता रहे हैं। मतदाताओं का मानना है कि राजनीति सेवा का माध्यम होनी चाहिए, न कि कमाई का जरिया।
चुनाव का काउंटडाउन शुरू, मतदाताओं की चुप्पी किसके पक्ष में जाएगी?
नगर निगम चुनाव में अब सिर्फ एक सप्ताह बचा है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा प्रत्याशी जनता को अपनी योग्यता और योजनाओं से प्रभावित कर मतदाताओं का विश्वास जीतने में सफल होता है। चुनाव नतीजे ही तय करेंगे कि शहर की सरकार बदलेगी या फिर कांग्रेस को एक और मौका मिलेगा।