Case of assault on Tehsildar बिलासपुर: बस्तर के करपावंड में पदस्थ नायब तहसीलदार पुष्पेंद्र मिश्रा के साथ 16 नवंबर की रात सरकंडा पुलिस द्वारा कथित मारपीट का मामला अब तूल पकड़ चुका है। इस घटना ने प्रशासनिक सेवाओं और पुलिस विभाग के बीच गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक संघ और राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है।
क्या है मामला?
घटना के अनुसार, सरकंडा थाना प्रभारी तोपसिंह नवरंग और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने तहसीलदार पुष्पेंद्र मिश्रा के साथ न केवल अमर्यादित व्यवहार किया, बल्कि उनके भाई को भी झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी। संघ का कहना है कि पुष्पेंद्र मिश्रा एक कार्यपालिक मजिस्ट्रेट हैं, और उनके साथ इस तरह का व्यवहार प्रशासनिक गरिमा पर सीधा प्रहार है।
प्रशासनिक संघ की मांगें
संघ ने इस घटना के संबंध में कलेक्टर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए निम्न मांगें रखीं:
1. दोषी थाना प्रभारी और पुलिसकर्मियों का तत्काल निलंबन।
2. दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करना।
3. मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध दंडाधिकारी जांच।
4. प्रशासनिक और पुलिस विभाग के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण।
मंत्री ने लिया संज्ञान
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने घटना को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से जानकारी मांगी है। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
संघ ने दी चेतावनी
संघ ने कहा है कि यदि मामले में एक सप्ताह के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की जाती, तो वे धरना-प्रदर्शन और अन्य आंदोलनात्मक कदम उठाएंगे। संघ के अध्यक्ष नीलमणि दुबे ने कहा, “इस तरह की घटनाएं अधिकारियों को असुरक्षित महसूस कराती हैं और प्रशासनिक सेवाओं की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।
बहरहाल यह घटना प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं के बीच समन्वय की कमी को उजागर करती है। संघ ने सुझाव दिया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दोनों विभागों के बीच बेहतर समन्वय और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए।