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Diabetes News:भारत में मधुमेह के शिकार 86% लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे, जानें इसके पीछे की वजहें”

नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ (International Diabetes Federation) की एक ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में मधुमेह (डायबिटीज) के कारण 86 प्रतिशत मरीज मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, विशेषकर अवसाद और चिंता से पीड़ित हैं। इस सर्वे में भारत सहित सात देशों के मरीज शामिल थे, जिसमें पाया गया कि मधुमेह का असर अब केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

 

महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित

 

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में महिलाओं पर इसका असर पुरुषों की तुलना में अधिक देखा गया है। मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध ने इस रोग की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है, जिससे मरीजों को दोगुनी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

 

मानसिक स्वास्थ्य पर डायबिटीज का प्रभाव क्यों?

 

रिपोर्ट में मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावित होने के प्रमुख कारणों का भी विश्लेषण किया गया है:

 

1. जटिलताओं का डर: 76% मरीजों में यह सबसे आम कारण पाया गया। मधुमेह के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य जटिलताएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

 

2. दैनिक प्रबंधन की चुनौतियाँ: 72% मरीजों ने बताया कि हर रोज़ मधुमेह का प्रबंधन करना उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए कठिनाई पैदा करता है।

 

3. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच: 65% मरीजों ने कहा कि उन्हें स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों से पर्याप्त सहायता नहीं मिल पाती है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ जाती है।

 

4. दवाओं और आपूर्ति तक पहुँच: 61% मरीजों ने दवाओं और अन्य आवश्यक आपूर्ति की उपलब्धता के संबंध में समस्याएं बताईं, जिससे मानसिक दबाव बढ़ता है।

 

 

मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य का क्या है समाधान?

 

मधुमेह से जुड़े मानसिक स्वास्थ्य पर असर को कम करने के लिए विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता बढ़ाने, नियमित चिकित्सा परामर्श, परिवार और दोस्तों का समर्थन, और स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुँच से मरीजों की मानसिक स्थिति में सुधार आ सकता है। साथ ही, मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और चिकित्सा सेवाएं आवश्यक हैं, ताकि वे अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकें।

बहरहाल मधुमेह का केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव होता है। भारत में मधुमेह रोगियों की बड़ी संख्या का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, और इससे निपटने के लिए न केवल रोग के प्रति जागरूकता, बल्कि मनोवैज्ञानिक सहायता भी अहम है।

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