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नक्सल प्रभावित इलाके में पुलिस कैंप हटने के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध

नक्सल

 

कांकेर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुर्गूकोंदल ब्लॉक स्थित जाड़ेकुर्से गांव में सुरक्षाबल के कैंप को शिफ्ट करने के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। यह घटना बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की स्थिति को लेकर एक नया मोड़ प्रस्तुत करती है। जहां पहले नक्सलियों के खिलाफ पुलिस कैंप लगाने का विरोध होता था, वहीं अब ग्रामीणों ने पुलिस कैंप हटाए जाने पर अपना विरोध जताया है।

 

कैंप शिफ्ट होने से चिंतित हैं ग्रामीण

 

ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस कैंप हटने से गांव में नक्सलियों की वापसी हो सकती है, जिससे विकास कार्य रुक जाएंगे और फिर से अराजकता का माहौल बन सकता है। गांववासियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में यहां शांति आई थी और अब विकास की रफ्तार भी तेज हो रही थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि कैंप हटाया गया, तो नक्सली फिर से गांवों में घुस सकते हैं, जैसा कि पहले होता था।

 

कैंप हटाने के विरोध में 12 गांवों ने किया प्रदर्शन

 

लगभग 12 गांवों के ग्रामीणों ने मिलकर सुरक्षाबल से कैंप न हटाने की अपील की। शनिवार की रात को जब सुरक्षाबल ने कैंप शिफ्ट करने की तैयारी शुरू की, तो ग्रामीणों ने विरोध किया और धरना शुरू कर दिया। उन्होंने ठंड में अलाव जलाकर अपना विरोध जारी रखा। ग्रामीण संतोष जैन ने कहा कि कैंप को शिफ्ट करने का फैसला तुरंत वापस लिया जाए। उनका कहना था कि, “जब तक लिखित आदेश नहीं मिलता, हम विरोध जारी रखेंगे।”

 

ग्रामीणों के लिए शांति और विकास की मिसाल

 

ग्रामीणों के मुताबिक, 2008 में जब पुलिस कैंप खोला गया था, तब से इलाके में नक्सल वारदातों में कमी आई है। अब लोग शांति से रह रहे हैं, और बच्चों की पढ़ाई, सड़क, पुल, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। यह सुधार उनकी सुरक्षा और विकास का प्रतीक बन चुका है। पहले, नक्सलियों द्वारा किए गए हमलों और जनअदालतों में लोगों की पिटाई की जाती थी, लेकिन अब कैंप के कारण इन समस्याओं में कमी आई है।

 

नक्सलियों का खौफ और ग्रामीणों की आशंका

 

ग्रामीणों का कहना है कि यदि कैंप हट जाता है, तो नक्सली फिर से इलाके में घुस सकते हैं। गांव के कुछ लोग यह भी मानते हैं कि 4 साल पहले गायब हुए सहायक आरक्षक को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था, और उनका मानना है कि उसे अब तक खोजा नहीं जा सका है। इसके अलावा, कुछ अन्य गांववासियों ने बताया कि पहले नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ने के बाद गांव में डर का माहौल था, लेकिन अब कैंप की मौजूदगी से शांति बनी हुई है।

 

क्या था CSB कैंप का उद्देश्य?

 

2008 में, बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CSB) ने कैंप स्थापित किया था। तब से लेकर अब तक नक्सल घटनाओं में काफी कमी आई है और गांवों में विकास कार्यों को गति मिली है। लेकिन अब इस कैंप को हटाकर दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है, जिसके चलते ग्रामीणों में असंतोष और चिंता का माहौल है।

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