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छत्तीसगढ़ में सहकारी समिति कर्मचारियों का आंदोलन: धान खरीदी और सुखत नीति पर विरोध

रायपुर Raipur News: छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र साहू ने प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश में कार्यरत 2058 सहकारी समितियों और 2749 धान खरीदी केन्द्रों से जुड़े कर्मचारियों के सामने आ रही समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने बताया कि धान में सुखत की खरीदी का कोई प्रावधान न होने के कारण अधिकारियों द्वारा सहकारी समितियों के कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जा रही है, जो संघ के अनुसार पूरी तरह से अनुचित है।

 

नरेन्द्र साहू ने कहा कि गत वर्ष कर्मचारियों के माध्यम से सरकार ने 144 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी। लेकिन इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित धान में सुखत और अन्य मुद्दे उभर कर सामने आए। इन समस्याओं के समाधान के बजाय सरकार ने कर्मचारियों पर ही जिम्मेदारी डालते हुए, उनके वेतन से पैसा काटकर क्षतिपूर्ति की, जो कि कर्मचारियों के लिए अनुचित और अन्यायपूर्ण है। संघ की मांग है कि प्रदेश में धान की सुखत खरीदी का प्रावधान किया जाए ताकि खरीदी में इस प्रकार के विवाद उत्पन्न न हों।

 

मध्यप्रदेश की तर्ज पर अनुदान की मांग

 

सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ सरकार मध्यप्रदेश सरकार की तरह सभी 2058 समितियों को 3-3 लाख रुपये का अनुदान प्रदान करे। संघ के अनुसार, इस अनुदान से समितियों को अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में मदद मिलेगी और आर्थिक तंगी के कारण कर्मचारी आंदोलन का रास्ता अपनाने से बचेंगे।

 

नरेन्द्र साहू ने कहा, “अनुदान न मिलने से समितियों के आर्थिक हालात खराब हैं और इसका असर कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों पर पड़ता है। सरकार द्वारा अनुदान मिलने से समितियों का वित्तीय प्रबंधन मजबूत होगा और धान खरीदी के संचालन में व्यवधान कम होगा।”

 

सेवा नियम 2018 के तहत संशोधन की मांग

 

सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने लंबे समय से लंबित सेवा नियम 2018 के संशोधन प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की है। संघ का कहना है कि यह प्रस्ताव लंबे समय से पंजीयक के पास लंबित है और इसे लागू किए जाने से कर्मचारियों को उनके अधिकारों और लाभों का संरक्षित किया जा सकेगा।

 

संघ का मानना है कि इस संशोधन से कर्मचारियों के वेतन, सेवा सुरक्षा और अन्य लाभों को सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता दूर होगी। कर्मचारियों का कहना है कि बिना स्पष्ट सेवा नियमों के कार्य करना मानसिक और आर्थिक रूप से भारी पड़ता है और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।

 

धान खरीदी नीति में बदलाव की मांग

 

धान की खरीदी के मुद्दे पर, कर्मचारियों ने सरकार द्वारा घोषित 28 फरवरी तक की अंतिम तिथि पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि खरीदी की यह समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च कर दी गई है, लेकिन खरीदी के लिए बेहतर प्रबंध और नीति में सुधार की आवश्यकता है। कर्मचारी संघ का मानना है कि बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के चलते इस वर्ष धान की खरीदी में देरी हो सकती है। ऐसे में 2024-25 की खरीदी मार्च तक भी पूरी होने की संभावना नहीं है। संघ का यह भी कहना है कि नई नीतियों और तकनीकों के अभाव में धान खरीदी के दौरान सुखत, टूटन और गुणवत्ता जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिसके कारण कर्मचारियों को दंडित किया जा रहा है।

 

हड़ताल की चेतावनी

 

संघ के अनुसार, यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेश भर के सहकारी समिति के सभी कर्मचारी 14 नवंबर से हड़ताल पर चले जाएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासन से संपर्क किया है, लेकिन समाधान न मिलने पर उनके पास हड़ताल के सिवाय कोई और रास्ता नहीं है।

 

कर्मचारी संघ के मुताबिक, “हमारे लिए हड़ताल पर जाना अंतिम विकल्प है, लेकिन अगर सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लेती तो हम यह कदम उठाने को मजबूर होंगे।” हड़ताल से प्रदेश में धान खरीदी प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, जिससे किसानों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

सरकार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

 

अब तक सरकार और संबंधित अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सहकारी समिति कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे प्रदेश में धान खरीदी का पूरा सिस्टम प्रभावित हो सकता है। सरकार के सामने चुनौती है कि वह कर्मचारियों की मांगों को संतुलित करते हुए खरीदी व्यवस्था को सुचारु बनाए रखे।

 

छत्तीसगढ़ एक प्रमुख धान उत्पादक राज्य है, और ऐसे में इस मुद्दे को जल्द हल करना आवश्यक है ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े और खरीदी का काम सुचारु रूप से जारी रह सके। अगर समय रहते कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो यह मुद्दा और बड़ा हो सकता है।

 

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