महासमुंद Mahasamund News: महासमुंद विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत बंबूरडीह में वित्तीय अनियमितताओं और विकास कार्यों में लापरवाही के गंभीर आरोपों के चलते सरपंच शत्रुघन चेलक को उनके पद से हटा दिया गया है। न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) राजस्व महासमुंद द्वारा की गई इस कार्रवाई के तहत पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के अंतर्गत सरपंच शत्रुघन को दोषी ठहराया गया। इस फैसले के बाद पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र में चर्चा का माहौल गर्म है, और इसे पंचायतों में भ्रष्टाचार और लापरवाही के मामलों पर सख्त कार्रवाई के एक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
मामला और आरोप
ग्राम पंचायत बंबूरडीह के सरपंच शत्रुघन चेलक पर आरोप था कि उन्होंने पंचायत के विकास कार्यों में जानबूझकर लापरवाही बरती और वित्तीय मामलों में कई अनियमितताएं कीं। जनपद पंचायत महासमुंद को पिछले कई महीनों से पंचायत के कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों में प्रमुखता से यह आरोप लगाया गया कि विकास कार्यों के लिए जारी की गई राशि का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है, और कई महत्वपूर्ण योजनाएं अधूरी पड़ी हैं। ग्रामवासियों और पंचायत सदस्यों ने भी इन अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद जनपद पंचायत ने इस मामले की जांच के लिए एक पत्र अनुविभागीय अधिकारी को भेजा।
जांच प्रक्रिया
जांच प्रक्रिया के दौरान, अनुविभागीय अधिकारी ने पंचायत में चल रहे विकास कार्यों का गहन निरीक्षण किया और वित्तीय दस्तावेजों की गहराई से पड़ताल की। इस जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा हुआ, जो सरपंच शत्रुघन चेलक के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करते हैं। रिपोर्ट में यह पाया गया कि बंबूरडीह पंचायत में विकास कार्यों के लिए जो फंड आवंटित किए गए थे, उनका सही उपयोग नहीं किया गया। कुछ योजनाओं के कार्य अधूरे हैं, जबकि कुछ में गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं किया गया।
अनियमितताओं के संदर्भ में जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि पंचायत में चल रहे कई कार्यों में मानकों की अनदेखी की गई और कार्यों को समय पर पूरा करने में लापरवाही बरती गई। इसके अलावा, सरपंच के द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताएं भी जांच में पाई गईं, जिससे फंड का दुरुपयोग साबित हुआ।
न्यायालय का आदेश और कार्रवाई
जांच रिपोर्ट और जनपद पंचायत महासमुंद के पत्र के आधार पर न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व महासमुंद ने सरपंच शत्रुघन चेलक को दोषी करार दिया और पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। इस आदेश के तहत उन्हें तत्काल प्रभाव से सरपंच पद से हटाने का निर्णय लिया गया।
अनुविभागीय अधिकारी ने अपने आदेश में कहा कि ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता बनाए रखना बहुत आवश्यक है और किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला पंचायतों में भ्रष्टाचार और लापरवाही को रोकने के लिए एक संदेश के रूप में लिया जाना चाहिए।
ग्रामीणों और अन्य पंचायतों में प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद ग्राम बंबूरडीह के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच की लापरवाही और वित्तीय अनियमितताओं के कारण पंचायत के विकास कार्यों पर बुरा प्रभाव पड़ा। ग्रामीणों ने इस निर्णय का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि अब पंचायत में विकास कार्य तेजी से और पारदर्शिता के साथ किए जाएंगे।
वहीं, इस फैसले के बाद अन्य ग्राम पंचायतों में भी हलचल मच गई है। अब अन्य पंचायतों के सरपंच और पंचायत सदस्य भी अधिक सतर्क हो गए हैं और इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि वे अपने कार्यों में कोई अनियमितता या लापरवाही न बरतें। इस निर्णय को कई लोगों ने सही ठहराते हुए कहा कि यह पंचायत राज अधिनियम के तहत न्यायिक प्रक्रिया का सही उदाहरण है।
भविष्य के लिए संकेत
यह कार्रवाई पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है। जिला प्रशासन का मानना है कि इस प्रकार के निर्णय से अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को भी कड़ा संदेश मिलेगा और वे अपने कार्यों में अधिक जिम्मेदारी और ईमानदारी से कार्य करेंगे।
छत्तीसगढ़ में पंचायत राज व्यवस्था के तहत यह फैसला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जो भविष्य में पंचायतों के कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता में सुधार लाने में सहायक हो सकता है।