डमरुआ डेस्क।।छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर को अपना स्थापना दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाता है। 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर बने इस राज्य ने अपने दो दशकों से अधिक के सफर में विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस मौके पर राज्य के कोने-कोने में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सम्मान समारोह, विकास कार्यों की उद्घाटन एवं शिलान्यास जैसे कई आयोजन किए जाते हैं। राज्य स्थापना दिवस के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति का जश्न मनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ का गठन: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य…
छत्तीसगढ़ का गठन एक लंबे संघर्ष और जनता की आकांक्षाओं का परिणाम था। मध्य प्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ क्षेत्र के निवासियों ने स्वतंत्र राज्य की मांग उठाई, ताकि उनकी स्थानीय समस्याओं का समाधान हो सके और क्षेत्रीय विकास की गति तेज हो। आखिरकार, 1 नवंबर 2000 को भारत सरकार ने मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य का दर्जा प्रदान किया। यह राज्य गठन न केवल यहां के निवासियों की जीत थी बल्कि भारत में क्षेत्रीय विभाजन और विकास के नए अध्याय की शुरुआत भी थी।
पिछले वर्षों की विकास यात्रा…
स्थापना के बाद से छत्तीसगढ़ ने कृषि, खनन, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य में अपार प्राकृतिक संसाधन हैं, जैसे कोयला, लोहा, और बायोमास, जिनका उचित उपयोग कर राज्य ने आर्थिक विकास में बढ़त हासिल की है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में कई बड़े उद्योगों की स्थापना हुई है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और युवाओं के भविष्य में नए विकल्प उपलब्ध हुए हैं।
कृषि और ग्रामीण विकास…
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है, और कृषि यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। राज्य सरकार ने किसानों के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना और मुख्यमंत्री कृषि विकास योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य ने किसानों की आय में सुधार करने का प्रयास किया है। इन योजनाओं का उद्देश्य है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके।
औद्योगिक विकास…
खनिज संपदा से भरपूर इस राज्य में खनन और स्टील उद्योग को भी बड़ा बढ़ावा मिला है। भिलाई स्टील प्लांट, बाल्को, एनएमडीसी, और कई अन्य प्रमुख उद्योगों ने राज्य को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है। औद्योगिक विकास ने राज्य को नए निवेश के अवसर प्रदान किए हैं और स्थानीय रोजगार के साधन उपलब्ध कराए हैं। उद्योगों के विस्तार से छत्तीसगढ़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सामाजिक एवं शैक्षिक सुधार…
छत्तीसगढ़ ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य ने स्कूलों की संख्या में वृद्धि की है और बच्चों की शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित की है। “सुकमा मॉडल” जैसी परियोजनाएं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी शिक्षा का विस्तार कर रही हैं।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी सुदृढ़ बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और मलेरिया-डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
सांस्कृतिक और पर्यटन की दिशा में प्रगति…
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत भी बहुत समृद्ध है। यहाँ की जनजातीय संस्कृति, पारंपरिक नृत्य, और लोकगीत छत्तीसगढ़ की पहचान हैं। राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें चित्रकूट जलप्रपात, कांगेर घाटी, और सिरपुर के प्राचीन मंदिर जैसे स्थान शामिल हैं। पर्यटन क्षेत्र के विकास से राज्य की संस्कृति और परंपराएं देश और दुनिया के लोगों तक पहुंच रही हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिल रहा है।
नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई…
छत्तीसगढ़ ने नक्सलवाद की समस्या का सामना करते हुए भी विकास का रास्ता अपनाया है। राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की है और साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में सुधार करके युवाओं को मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास किया है। कई योजनाओं के माध्यम से सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास को गति दी है, ताकि शांति और समृद्धि का माहौल स्थापित हो सके।
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास…
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस राज्य ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कई कदम उठाए हैं। वनों के संरक्षण के लिए वन क्षेत्र में वृक्षारोपण अभियान चलाए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने “हरित छत्तीसगढ़ अभियान” की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। सतत विकास के माध्यम से छत्तीसगढ़ ने अपनी प्राकृतिक संपदा और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधा है।
आगे की राह….
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस का यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि अभी भी कई चुनौतियाँ बाकी हैं, लेकिन राज्य का भविष्य उज्ज्वल है। राज्य सरकार द्वारा योजनाबद्ध विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ और अधिक प्रगति करेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में सुधार के साथ ही, नक्सलवाद जैसी समस्याओं के समाधान में राज्य की स्थिति में सुधार की संभावनाएं हैं।
निष्कर्ष….
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस राज्य की प्रगति और उसकी अनूठी संस्कृति का प्रतीक है। स्थापना के बाद से छत्तीसगढ़ ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे राज्य की जनता की मेहनत और संकल्प का प्रमाण हैं। राज्य सरकार, उद्योग जगत, और नागरिकों के सहयोग से छत्तीसगढ़ ने सामाजिक और आर्थिक दोनों ही क्षेत्रों में विकास की नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। इस स्थापना दिवस के अवसर पर, छत्तीसगढ़ के लोग अपने राज्य के गौरव को महसूस करते हैं और एक बेहतर भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं।
