डमरुआ डेस्क।।दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही बाजारों में मिठाइयों और खाने-पीने की चीजों की मांग तेजी से बढ़ जाती है। इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को मिठाइयां उपहार में देते हैं और घरों में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। हालाँकि, इस उत्सव के दौरान मिठाइयों में मिलावट की समस्या भी गंभीर रूप से बढ़ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। मिलावटखोरी के कारण लोगों को न केवल खाद्य विषाक्तता का सामना करना पड़ता है, बल्कि कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है।
मिलावट वाली मिठाइयां: एक गंभीर समस्या
दिवाली के समय मिठाइयों की मांग इतनी अधिक हो जाती है कि बहुत से दुकानदार और मैन्युफैक्चरर्स अधिक मुनाफा कमाने के लालच में मिलावट करने से पीछे नहीं हटते। वे मिठाइयों की मात्रा बढ़ाने और लागत घटाने के लिए मिलावटी पदार्थों का उपयोग करते हैं। नकली खोया, मिलावटी घी, और सिंथेटिक रंग जैसे पदार्थ मिठाइयों में मिलाए जाते हैं। इनमें से कुछ घटक शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं, और इनके सेवन से कई प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
मिलावट वाली मिठाइयों के सेवन से खाद्य विषाक्तता, पेट में जलन, उल्टी, दस्त, सिरदर्द, और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ मामलों में, यह मिलावट इतना खतरनाक हो सकता है कि इससे लीवर और किडनी भी प्रभावित हो सकते हैं। सिंथेटिक रंग और अन्य रासायनिक पदार्थ शरीर में कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। विशेषकर बच्चे और बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, और ऐसे मिलावटी खाद्य पदार्थ उनके लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।
किन चीजों में मिलावट होती है?
खोया: मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाला खोया बहुत अधिक मात्रा में मिलावटी पाया गया है। नकली खोया बनाने के लिए उसमें स्टार्च, मैदा और अन्य सस्ते तत्व मिलाए जाते हैं।
. घी और तेल: घी और तेल की जगह सिंथेटिक घी और वनस्पति तेल का उपयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होता है।
रंग: मिठाइयों में चमक और सुंदरता लाने के लिए कृत्रिम रंगों का उपयोग किया जाता है, जो शरीर के लिए विषाक्त होते हैं।
चॉकलेट और मिठाइयों के अन्य अवयव: कई बार नकली चॉकलेट और शर्करा के मिश्रण का उपयोग किया जाता है, जिससे मिठाई की गुणवत्ता घटती है और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है।
मिलावट की पहचान कैसे करें?
गंध और स्वाद: असली खोया या घी में एक खास गंध होती है, जबकि मिलावटी उत्पादों में यह गंध कम होती है।
घोल परिक्षण: खोया की मिलावट की जांच के लिए उसे पानी में घोल कर देखें। यदि पानी में सफेद रंग निकलता है, तो उसमें स्टार्च की मिलावट हो सकती है।
रंग पहचानना: मिठाई के रंगों को ध्यान से देखें। ज्यादा चमकीले रंग वाली मिठाइयों में मिलावटी रंग होने की संभावना अधिक होती है।
पैकेजिंग: ब्रांडेड मिठाइयों में पैकेजिंग साफ-सुथरी और आकर्षक होती है। खुली मिठाइयां खरीदने से बचें, क्योंकि इनमें मिलावट की संभावना अधिक होती है।
सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग की भूमिका
भारत सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग दिवाली के समय विशेष अभियान चलाते हैं ताकि बाजार में मिलावट वाली मिठाइयों को बेचना रोका जा सके। खाद्य सुरक्षा विभाग बाजारों में छापेमारी करता है और संदिग्ध उत्पादों की जांच करता है। दोषी पाए जाने वाले दुकानदारों और निर्माताओं पर जुर्माना लगाया जाता है और उनका लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है।
सुरक्षित और स्वच्छ विकल्प
दिवाली पर मिठाई खरीदते समय उपभोक्ताओं को सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करें कि मिठाइयों को किसी विश्वसनीय स्थान से ही खरीदें। यदि संभव हो तो घर पर ही मिठाई बनाएं, क्योंकि इस तरह आप शुद्धता और गुणवत्ता का ध्यान रख सकते हैं। इसके अलावा, सूखे मेवे, गुड़ और खजूर से बनी मिठाइयां भी एक अच्छा विकल्प हैं, जिनमें मिलावट की संभावना कम होती है।
उपभोक्ताओं को जागरूकता की आवश्यकता
त्योहारों के समय में मिलावट से बचने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक होना आवश्यक है। उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए और वे ऐसी जगहों से मिठाई खरीदने से बचें, जहां उन्हें गुणवत्ता पर संदेह हो। इसके अलावा, अगर उन्हें किसी मिठाई में मिलावट का शक हो तो वे संबंधित खाद्य सुरक्षा विभाग को इसकी जानकारी दे सकते हैं।
निष्कर्ष
दिवाली का त्योहार खुशियाँ और मिठास लाने का समय है, लेकिन मिलावट वाली मिठाइयाँ इस मिठास में कड़वाहट घोल सकती हैं। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए ही त्योहार का असली आनंद लिया जा सकता है। ध्यान रखें कि थोड़ी सी सावधानी हमें
और हमारे प्रियजनों को स्वस्थ और सुरक्षित रख सकती है।