नगरी, 11 सितंबर (आरएनएस)। महानदी के उदगम स्थल गणेश घाट सिहावा में प्रतिवर्षानुसार ऋषि पंचमी धूम धाम से मनाया गया। ऋषि पंचमी समिति सिहावा के अध्यक्ष बलदेव निषाद के अगुवाई में गणेश घाट सिहावा में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गुरू भाइयों व आमन्त्रित जनो ने गुरु आश्रम में पूजा अर्चना कर माता महामाई,औघट बाबा, बालगिर बाबा,व अन्य देवी देवताओं को माथा टेका व प्राचीन ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए दुर्लभ जड़ी बूटियों का सेवन किया।कार्यक्रम के प्रारंभ में गढ़ की देवी देवताओं,ऋषि मुनिओ की परम्परानुसार परघोनी ,स्वागत सम्मान ,पूजा अर्चना सेवा किया गया। गुरु भाइयो ने क्रमवार होकर गुरु महराज से आशीर्वाद लिया।तथा नये गुरु भाइयों को जनकल्याण व धर्म के मार्ग पर चलने की सीख देते हुए पाठ पीढा गुरु महाराज द्वारा प्रदान की गई।मौके पर गुरु आश्रम पहुँचे प्रबुद्ध नागरिको ने उपस्थित जनो को ऋषि पंचमी की शुभकामना प्रदान की ।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ऋषि पंचमी समिति अध्यक्ष बलदेव निषाद,पुजारी मान सिंह पटेल,राज कुमार निषाद,नेहरू पटेल ,ज्ञान सागर पटेल,प्रीतम पटेल, ग्राम पटेल राजेश यदु,माहरू साहू,अमृत साहू,संजय सारथी,रामसिंग पटेल,कलम सिंह पवार,रामाराव बघेल,,ललित निर्मलकर, कौशल साहू,अंजोर निषाद,अजय सारथी,भरत निर्मलकर, सचिन भंसाली,गगन नाहटा, दीनदयाल नागरची,रामाराव बघेल, गोलू निषाद,छोटू पटेल कौशल पटेल,, धनंजय साहू,नारायण पटेल,रमधरपटेल, बीरेंद्र यादव,त्रिलोक पटेल ,कौशल पटेल, शैलेन्द्र पटेल,रोशन पटेल,रामगणेश यादव,महेंद्र पटेल,मीतूबघेल,राकेश निर्मलकर, पवन निषाद,सदानन्द सिन्हा, ऋषभ यदु,सत्यम पटेल,केशव पटेल,जीतू यादव,ठकुरीधर शर्मा ,गिरिजा शंकर सोम,उत्तम गौर, दुर्गेश यादव,विक्की साहू,नरेश पटेल,कोशिश निर्मलकर राजू पटेल,चंद्रभान गजपाल,सहित दूर दूर से आए गुरुभाई व ग्रामीणों की उपस्थिति रही।
गौरतलब है की इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। गणेश घाट पर इस पावन अवसर पर भव्य आयोजन हुआ, जिसमें भक्ति संगीत, हवन, और पूजा शामिल थे। श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश और सप्त ऋषियों की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)
ऋषि पंचमी की कथा के अनुसार, एक नगरी में एक कृषक और उसकी पत्नी रहती थी। एक बार उसकी पत्नी रजस्वला हो गई, लेकिन यह जानने के बावजूद वह अपने कार्यों में लगी रही। जिस कारण उसे दोष लग गया, चूंकि उसका पति भी इस दौरान उसके संपर्क में आ गया, तो वह भी इस दोष का शिकार हो गया, जिस कारण वह दोनों अगले जन्म में जानवर बन गए। पत्नी को कुतिया का जन्म मिला, तो वहीं पति बैल बन गया।
पुत्र ने सुन ली सारी बातें
इस दोनों का इसके अलावा कोई और दोष नहीं था, इसलिए इन्हें पूर्व जन्म की सारी बातें याद थीं। इस रूप में दोनों अपने पुत्र के घर रहने लगे। एक दिन पुत्र के यहां ब्राह्मण पधारे और उसकी पत्नी ने ब्राह्मणों के लिए भोजन पकाया। लेकिन इस दौरान खीर में एक छिपकली गिर गई, जिसे उसकी मां ने देख लिया।
अपने पुत्र को ब्रह्म हत्या से बचाने के लिए उसने अपना मुख खीर में डाल दिया, लेकिन कुतिया की यह हरकत देखकर, पुत्रवधू को बहुत गुस्सा आया और उसने मारकर उसे घर से बाहर निकाल दिया। जब रात के समय वह यह सारी बात बैल के रूप में अपने पति को बता रही थी, तो उनकी सारी बातें उनके पुत्र ने सुन ली। तब उसने एक ऋषि के पास जाकर इसका उपाय पूछा।
ऋषि ने बताया ये उपाय
ऋषि ने पुत्र से कहा कि अपने माता-पिता को इस दोष से छुटकारा दिलाने के लिए तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को ऋषि पंचमी का व्रत करना होगा। ऋषि के कहे अनुसार, पुत्र ने ऐसा ही किया, जिससे उन दोनों को पशु योनि से छुटकारा मिल गया। इसलिए महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी का व्रत बहुत ही उत्तम माना जाता है।
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