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महिलाओं का मायका बना छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का निवास

Raipur रायपुर। छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं का उल्लास मुख्यमंत्री निवास में एक बार फिर से जीवंत हो उठा है। तीजा-पोला तिहार के अवसर पर, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में महिलाओं के लिए मायके जैसा माहौल तैयार किया गया है। मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोला तिहार की धूमधाम से तैयारी की गई है, जहां छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों की झलक सजावट में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

 

तीजा-पोला तिहार महिलाओं के मायके आने और अपने रिश्तों को संवारने का त्योहार है। तीजा तिहार के दौरान महिलाएं उपवास करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह त्योहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उनके रिश्तों और संस्कृति के प्रति उनकी आस्था को मजबूत करता है। मुख्यमंत्री निवास को इस अवसर पर एक मायका का रूप दिया गया है, जहां महिलाओं का पारंपरिक तरीकों से स्वागत किया जाएगा।पोला त्योहार किसानों और पशुधन के सम्मान का पर्व है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है, जो कृषि में किसानों के महत्वपूर्ण सहयोगी होते हैं। मिट्टी के बैल और पारंपरिक खिलौनों से सजावट की जाती है, जो बच्चों और परिवार के बीच खुशी का माहौल पैदा करती है। यह त्योहार छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को तीजा और पोला तिहार की बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह त्यौहार हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “तीजा और पोला तिहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह पर्व हमारी जड़ों से जुड़ने और समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा देने का अवसर है। महतारी वंदन योजना के तहत, मुख्यमंत्री निवास से 70 लाख महिलाओं के खातों में एक-एक हजार रुपए का अंतरण किया जाएगा, जिससे उन्हें आर्थिक संबल प्राप्त हो सकेगा। इस विशेष अवसर पर, मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक छत्तीसगढ़िया व्यंजन परोसे जाएंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बैल पूजा का विशेष आयोजन भी शामिल है। मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोला तिहार का आयोजन 2 सितंबर को सुबह 11 बजे से प्रारंभ होगा। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करेंगे।

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