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नहीं थम रहा केल्हारी सरकारी अस्पताल में कुप्रबंधन और लापरवाही का सिलसिला। लाखों के जनरेटर में लग रहा जंग।

नहीं थम रहा केल्हारी सरकारी अस्पताल में कुप्रबंधन और लापरवाही का सिलसिला। लाखों के जनरेटर में लग रहा जंग।

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खबरों का तांडव, हरिओम पाण्डेय, एमसीबी/केल्हारी। आमजन लोगों को सस्ती और स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध करवाना हर अस्पताल की जिम्मेदारी है, परंतु केल्हारी अस्पताल इसमें विफल रही हैं। इसीलिए सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान होने वाली लापरवाहियों के कारण लोग वहां इलाज करवाने के लिए जाने से संकोच करते हैं। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा के दौरान बरती गई लापरवाहियों के कारण कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है। एमसीबी जिले के केल्हारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बुरा हाल है। हमेशा की तरह इस बार भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही दिखाई दे रही है‌। बिजली की समस्यायों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केल्हारी में जनरेटर उपलब्ध है पर अस्पताल प्रभारी डॉ महेश सिंह की गलती से लगभग एक साल से जंग पड़ रहा है। कुछ दिनों पहले अस्पताल की कुप्रबंधन को हमने प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। जिससे अस्पताल में गंदगी और वार्ड में भर्ती मरीजों को बेड सीट के बारे में जानकारी दी गई थी।

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से जनता परेशान।

आपको बता दें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केल्हारी में लगभग एक साल से जनरेटर बंद है। इस पर स्वास्थ्य विभाग की भारी लापरवाही दिखाई दे रही है। स्वास्थ्य केंद्र केल्हारी प्रभारी की उदासीनता रवैए के कारण आज भी जनरेटर बंद पड़ी है और फोन के माध्यम अस्पताल प्रभारी डॉ महेश सिंह से पूछा गया तब उन्होंने बताया कि जिले के स्वास्थ्य विभाग को अभी तक कोई आवेदन पत्र के द्वारा सूचित नहीं किया गया है। केल्हारी के 55 गांव के लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करवाने आते हैं। और लापरवाह प्रभारी अपनी जिम्मेदारी से भाग कर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दिलवा पा रहे हैं। ऐसे प्रभारी की ग़लती लगातार देखने को मिल रही है लेकिन जिला प्रशासन कोई कार्यवाही करने से कतराते नजर आ रहे हैं।

सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को हो रही है परेशानी।

गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के लिए ज्यादातर गरीब लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केल्हारी में आते हैं, लेकिन बिजली गुल होते ही रात के अंधेरे में डिलीवरी नहीं हो पाती है और प्रेगनेंट महिलाओं को रिफेर कर दिया जाता है। कभी-कभी तो इस दौरान जच्चा-बच्चा दोनों की मृत्यु हो सकती है। लगभग 55 गांव के इस समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई है। उपरोक्त उदाहरणों से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि केल्हारी सरकारी अस्पताल किस कदर बदहाली का शिकार हैं। सरकारी अस्पताल की यह दुर्दशा निश्चय ही एक ज्वलंत समस्या है, जो दूर होनी चाहिए, नहीं तो केल्हारी अस्पताल में अप्रिय घटनाएं होती रहेंगी।

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