Damrua

कोतवाली पुलिस को नहीं दिखता पीड़िताओं का दर्द, शिकायत लेकर भटक रही महिलाएं

डमरूआ न्यूज/ रायगढ़. महिला संबंधी अपराधों पर लगाम लगाने त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता भारतीय कानून महसूस करता है लेकिन शायद कोतवाली पुलिस इसके प्रति ज्यादा गंभीर नहीं है, कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमे पीड़िता की ओर से दिए जा रहे शिकायत को भी लेने से पुलिस दूर भाग रही है. और यदि शिकायत ले भी ले  तो फिर  FIR कब होगा अथवा होगा भी या नहीं इस बात पर संसय बना रहता है.

 

रायगढ़ की कोतवाली पुलिस के पास महिला संबंधी अपराधों की विवेचना के लिए या तो स्टाफ नहीं है अथवा सब कुछ होते हुए भी काम करने की इच्छा नहीं है. सच्चाई क्या है इस बात को तो कोतवाली के कोतवाल और उनके अधिकारी ही बता सकते हैं. कारण जो भी हो लेकिन महिला अपराधों की उपेक्षा की अपेक्षा रायगढ़ पुलिस से नहीं की जा सकती है.

अनाचार की शिकायत एक सप्ताह से थाने के टेबल पर रखी है

रायगढ़ की एक महिला जब अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंची तो इसकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया गया और कहां गया कि तुम घर जाओ हम आते हैं. लेकिन पुलिस नहीं पहुंची. महिला ने अपने साथ हुई ज़्यादिति की शिकायत पुलिस द्वारा नहीं लेने पर उसे रजिस्ट्री के माध्यम से कोतवाली थाना एवं पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया. यह शिकायत दोनों ही कार्यालय में दिनांक 8.7.2024  को प्राप्त हो गई. लेकिन पुलिस ने अब तक इस शिकायत पर कोई भी कार्रवाई नहीं की. वही आरोपी पुलिस के इस सुस्त रवैया  को देख मजे में है और बार-बार पीड़िता के साथ ज़्यादती कर रहा है. संभव है कि इस महिला की शिकायत को पुलिस अधीक्षक  द्वारा भी मार्क करते हुए कोतवाली पुलिस को भेजा गया हो,  लेकिन कोतवाली पुलिस अपने अधीक्षक के फरमान एवं महिलाओं पर इस प्रकार के हो रहे अत्याचारों के प्रति शायद संजीदा नहीं है.

 रंगीले बाबू  पर भी मेहरबान है कोतवाली पुलिस

एसडीएम कार्यालय के बहुचर्चित एवं विवादित बाबू गोविंद परधान जो वर्तमान में जेल में है उसकी दो शादियों की चर्चा पूरे प्रदेश में है और सरकारी नौकरी करते हुए एवं बिना तलाक लिए दूसरी शादी किये जाने की शिकायत इस रंगीले बाबू की पहली पत्नी ने तीन दिन पहले ही कोतवाली थाने में की है. जब यह शिकायतकर्ता  अपनी शिकायत लेकर थाने पहुंची तो कोतवाली पुलिस का रवैया अजीबो गरीब था वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों ने तो यह कहा कि कोई दूसरी शादी कर ले तो इसमें हम क्या करें, किसी ने कहा कि साहब से बात करके Fir होगी, इस प्रकार टालमटोल करते हुए शिकायतकर्ता महिला को रात के  लगभग ढाई घंटे तक थाने में बैठा कर रखा गया लेकिन Fir करना तो दूर उसे शिकायत की पावती भी नहीं दी गई थी. ढाई घंटे बाद जब मीडिया की ओर से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से बात की गई तो उस महिला की शिकायत की पावती थाने से दी गई. हैरानी की बात यह है कि अपने साथ हो रहे अत्याचार की शिकायत लेकर लोग थाने पहुंचते हैं लेकिन उनकी शिकायत लेने से भी पुलिस कतरा रही है. यदि इस महिला के लिए भी मीडिया की ओर से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को कॉल नहीं किया गया होता तो शायद इसे भी इसकी शिकायत की पावती नहीं मिलती. अब पीड़िता को शिकायत की पावती तो मिल चुकी है लेकिन पुलिस के पास पुख्ता आधार और सबूत होने के बावजूद रांगीले बाबू पर Fir दर्ज करने से परहेज कर रही है. पुलिस के इस रवैये को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह एकराज्य परिवहन की ऐसी गाड़ी बन गई है जो केवल धक्का देकर ही चलाई जा सकती है. उच्चाधिकारियों व सरकारी तंत्र को अपने इस सिस्टम को बीच -बीच में धक्का लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है.

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